सुप्रीमकोर्ट ने नहीं सुना, पर बाम्बे हाईकोर्ट ने ‘पीएम केयर्स’ पर दिया केंद्र को नोटिस

प्रधानमंत्री राहत कोष के रहते कोरोना काल में पीएम केयर्स फंड बनाया गया और फिर उसे आरटीआई के बाहर भी बता दिया गया। ज़ाहिर है, पीएम केयर्स को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। यह मामला बाम्बे हाईकोर्ट पहुँचा तो उसने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। हालांकि मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने याचिका ख़ारिज करने की मांग की थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अधिवक्ता अरविंद वाघमारे ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में पीएम केयर्स फंड के तमाम पहलुओं पर सवाल खड़े किए गए हैं। फंड में जमा रकम और लेन-देन का ब्योरा सार्वजनिक नहीं करने, पीएम केयर्स फंड चैरिटेबिल ट्रस्ट में नये सदस्यों की नियुक्ति नहीं करने और ट्रस्ट का ऑडिट कराने जैसे मुद्दे उठाये गये हैं। सालिसिटर जनरल ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर दो याचिकाओं को खारिज कर चुका है। ऐसे में हाईकोर्ट को इस याचिका पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। लेकिन न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल किल्लोर ने मांमली की सुनवाई की और केंद्रीय गृहमंत्रालय, वित्तमंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के प्रधान सचिवों को नोटिस जारी कर दिया। जवाब के लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है।

याचिका में कहा गया है कि 28 मार्च को चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पीएम केयर्स फंड का गठन किया गया था, लोगों से सरकार ने इस फंड में दिल खोलकर चंदा देने की अपील की। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष और रक्षामंत्री, वित्तमंत्री और गृहमंत्री इसके पदेन सदस्य हैं। तीन नामांकित सदस्यों को शामिल करने की बात भी कही गयी थी लेकिन किसी को नहीं शामिल किया गया। इस ट्रस्ट में विपक्षी दलों के राज्यसभा सांसदों की नियुक्ति होनी चाहिए। ट्रस्ट का ऑडिट न होने जैसे विषय भी याचिका में उठाया गया है।

ख़ास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर सुनवाई से इंकार कर दिया था, लेकिन कई हाईकोर्टों ने इस पर हस्तक्षेप किया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई की। अब पीएम केयर्स फंड के बारे में भी यही होता दिख रहा है।

 


 

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