नमक-रोटी कांड : कलेक्टर अनुराग पटेल ने कहा -प्रिंट के पत्रकार ने क्यों बनाया वीडियो?

मीरजापुर के सिऊर गांव में सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चों को नमक-रोटी खिलाने के मामले में कलेक्टर अनुराग पटेल पहले  पलटी मार गए फिर इसी मामले में वीडियो रिपोर्ट बनाने वाले जनसंदेश टाइम्स के पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ पहले एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा निंदा और फिर पत्रकारों द्वारा विरोध किये जाने पर मीरजापुर के कलेक्टर अनुराग पटेल का अजीबो-गरीब बयान सामने आया है ! अनुराग पटेल का कहना है कि ‘प्रिंट के पत्रकार ने वीडियो क्यों बनाया?’ इस पूरे प्रकरण पर आज सुबह ही जनसंदेश टाइम्स के पत्रकार विजय विनीत की एक पड़ताल मीडिया विजिल पर लगाई थी. अब ताजे घटनाक्रम पर फिर उनकी रिपोर्ट पढ़िए. -संपादक 

मीरजापुर के सिऊर प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील के नाम पर विद्यार्थियों को नमक रोटी परोशने की घटना सामने लाने वाले पत्रकार पवन जायसवाल पर एफआईआर के मामले में डीएम अनुराग पटेल ने मंगलवार को अजीबो-गरीब सफाई पेश की। कहा कि प्रिंट मीडिया का पत्रकार होने के बावजूद पत्रकार ने जिस तरह से वीडियो बनाकर उसे वायरल किया, उससे लगता है कि वो किसी साजिश में शामिल था।
मीडिया से बातचीत में डीएम अनुराग पटेल अपने दफ्तर में पत्रकारों को समझाना शुरू किया कि प्रिंट मीडिया के पत्रकार को फलां काम करना चाहिए और फलां नहीं।

जब उनसे यह पूछा गया कि पत्रकार ख़बर बनाने गया था तो वह दोषी कैसे हो गया? वह साज़िशकर्ता कैसे हो गया? इस पर डीएम कहते हैं कि ख़बर बनाने का तरीक़ा अलग होता है। आप प्रिंट मीडिया के पत्रकार हो तो आप फ़ोटो खींच लेते, आप को जो गंभीरता लग रही थी, ग़लत हो रहा था, उसे आप छाप सकते थे, लेकिन उन्होंने (पत्रकार ने) ऐसा नहीं किया। इसलिए उनकी भूमिका संदिग्ध लगी और उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया। हालांकि डीएम ने यह नहीं बताया कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करना किस तरह से साजिश की श्रेणी में आता है?

बच्चों के नमक रोटी खाने का वीडियो सोशल मीडया पर जोरदार ढंग से वायरल होने के बाद यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की खूब किरकिरी हो रही है। घटना के बाद डीएम अनुराग पटेल ने दो अलग-अलग जांचें कराई थी, जिसे अब वो झूठा करार दे रहे हैं। पटेल ने इस मामले के सामने आने के बाद एबीएसए बृजेश सिंह को निलंबित कर दिया था। साथ ही बीएसए को ट्रांसफ़र करने की शासन से सिफ़ारिश करने के साथ कार्यमुक्त भी कर दिया था। यूपी के पत्रकार इस बात से हैरत में है कि पिछले तीन दिन में ऐसा क्या हो गया कि डीएम को यह बताना पड़ा कि पत्रकार का क्या काम है? बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि अगर डीएम को यह लग रहा है कि यह घटना साज़िश थी तो उस समय उन्हें कार्रवाई करने की क्या ज़रूरत थी?

यूपी सरकार का यह कदम क्रूर और क्रूरः एडिटर्स गिल्ड

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने यूपी के मिर्जापुर के स्थानीय पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की कड़ी निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकार के खिलाफ की गई कार्रवाई को पत्रकारों के खिलाफ उठाया गया क्रूर कदम बताया है। बता दें कि मिर्जापुर में स्थित एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों को नमक के साथ रोटी खिलाने का मामला सामने आया था।

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पत्रकार पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी तरीके और गलत मंशा से स्कूल में बच्चों के मिड-डे-मील का वीडियो बनाया और उनका साथ गांव के प्रधान ने भी दिया। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट शेखर गुप्ता, जनरल सेक्रटरी एके भट्टाचार्य और ट्रेजरार शीला भट्ट ने एक लेटर जारी करके यूपी सरकार के इस कदम को निंदनीय और क्रूर बताया है। साथ ही कहा कि लोकतांत्रिक समाज में निर्भीक पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। मीरजापुर के अहरौरा थाने की पुलिस ने आईपीसी की धारा 186,193,120 व 420 के तहत पत्रकार पवन जायसवाल और गांव के राजकुमार पाल पर साजिश करने, गलत साक्ष्य बनाकर वीडियो वायरल करने और छवि खराब करने को लेकर मामला दर्ज किया है।


जनसंदेश टाइम्स में वरिष्ठ पत्रकार और समाचार संपादक विजय विनीत की लिखी रिपोर्ट से साभार प्रकाशित

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