जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन का काम जोरों पर चल रहा है। दिल्ली के अशोक होटल में गैर भाजपाइयों के सवालों से घिरे परिसीमन आयोग की सोमवार को बैठक हुई, जिसमें जम्मू में छह अतिरिक्त सीट और कश्मीर घाटी में एक और सीट देने का प्रस्ताव रखा गया। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो राज्य का सीएम तय करने में जम्मू की भूमिका भी अहम हो जाएगी। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री और सांसद जितेंद्र सिंह के अलावा बीजेपी के एक और सांसद जुगल किशोर मौजूद थे। साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला, रिटायर्ड जस्टिस हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन शामिल थे।
आयोग को 6 मार्च तक सभी सीटों का परिसीमन करने का आदेश..
बताते चलें कि परिसीमन आयोग में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना देसाई, मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव आयुक्त को शामिल किया गया है। आयोग को 6 मार्च तक सभी सीटों का परिसीमन करने का आदेश दिया गया है। केंद्र शासित प्रदेश में सीटों और उनकी सीमाएं तय होने के बाद ही चुनाव होंगे।
परिसीमन आयोग पर गैर-भाजपा दल उठाते आए हैं सवाल…
वहीं, जम्मू कश्मीर में गैर-भाजपा दल बार-बार परिसीमन आयोग पर सवाल उठा चुके हैं। हाल ही में महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने कहा था कि हमें परिसीमन आयोग पर कोई भरोसा नहीं है क्योंकि यह बीजेपी के एजेंडे पर काम कर रहा है। उनका कहना रहा है कि परिसीमन आयोग भाजपा का आयोग है। जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यक लोगों को बहुसंख्यकों के खिलाफ खड़ा करना और लोगों को कमजोर करना है। भाजपा इसके ज़रिए सीटों को इस तरह बढ़ाना चाहते हैं जिससे बीजेपी को फायदा हो।
राज्य के दोनों क्षेत्रों के बीच सीटों का अंतर 4 ही रह जाएगा…
आपको बात दें कि परिसीमन आयोग की इस बैठक में रखे गए प्रस्ताव के मंजूर होने का अर्थ यह हुआ कि जम्मू में विधानसभा की सीटें बढ़कर 43 हो जाएंगी, वहीं, कश्मीर घाटी में विधानसभा सीटों की संख्या 47 होगी। जिससे राज्य के दोनों क्षेत्रों के बीच सीटों का अंतर महज 4 का ही रह जाएगा। यानी इससे जम्मू को राजनीतिक बढ़त मिलेगी। आयोग द्वारा तैयार किए गए अपने पहले ड्राफ्ट पेपर में जम्मू-कश्मीर में कुल सीटों में से आदिवासी समुदाय (tribal community) के लिए 9 और दलित समुदायों के लिए 7 सीटें आरक्षित करने का भी प्रस्ताव है। संबंधित सदस्यों को 31 दिसंबर तक परिसीमन आयोग के इस प्रस्ताव पर अपने सुझाव देने को कहा गया है।
परिसीमन आयोग की यह सिफारिश अस्वीकार्य: उमर अब्दुल्ला
हालांकि, पहले ही सहयोगी सदस्यों के साथ आज परिसीमन आयोग की बैठक के दौरान चर्चा किए गए इस मसौदा प्रस्ताव को नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तथा पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सिरे से नकार दिया है। उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए परिसीमन आयोग की यह सिफारिश अस्वीकार्य बताई। उन्होंने लिखा…
“जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की मसौदा सिफारिश अस्वीकार्य है। नव निर्मित विधानसभा क्षेत्रों का वितरण, जिसमें 6 जम्मू और केवल 1 कश्मीर में जा रहे हैं, 2011 की जनगणना के डेटा के अनुसार उचित नहीं है”
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा…
“यह बेहद निराशाजनक है ऐसा लगता है कि आयोग ने बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे को अपनी सिफारिशों को तय करने की अनुमति दी है, न कि डेटा को, केवल जिस पर विचार किया जाना चाहिए था। वादा किए गए “वैज्ञानिक दृष्टिकोण” के विपरीत यह एक राजनीतिक दृष्टिकोण है।”
वहीं,पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया…
“परिसीमन आयोग के बारे में मेरी आशंका गलत नहीं थी। वे जनसंख्या की जनगणना की अनदेखी करके और एक क्षेत्र के लिए 6 सीटों और कश्मीर के लिए केवल एक का प्रस्ताव करके लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं।”
वहीं एक अन्य ट्वीट में महबूबा मुफ्ती लिखती हैं कि…
“यह आयोग केवल धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर लोगों को विभाजित करके बीजेपी के राजनीतिक हितों को साधने के लिए बनाया गया है. असली गेम प्लान जम्मू-कश्मीर में एक ऐसी सरकार स्थापित करना है जो अगस्त 2019 के अवैध और असंवैधानिक फैसलों को वैध बनाएगी.”