स्टेन स्वामी समेत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई के लिए रांची में राजभवन मार्च

झारखंड की राजधानी रांची में आज विभिन्न जन आन्दोलन, जन संगठन, वाम दल और झारखंड के सत्तारूढी दल के प्रनितिधियों द्वारा स्टेन स्वामी समेत सभी राजनैतिक बंदियों की रिहाई के लिए न्याय मार्च निकाला गया। मार्च ज़िला स्कूल से शुरू होकर राज भवन तक पहुंचा जहाँ धरना दिया गया।

विरोध मार्च में आदिवासी विमिंस नेटवर्क, आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, AIPF, AISA, अखड़ा, CPI, CPI(ML), CSSF, कौंग्रेस, मासस, जन मुक्ति संघर्ष वाहिनी, मानवीय एकता, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड जनाधिकार महासभा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, रोजी रोटी अधिकार अभियान, विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन, सिंहभूम आदीवासी समाज, सांझा कदम, NAPM, नैशनल डोमेस्टिक वर्कर्स मूवमेंट समेत कई अन्य संगठन शामिल थे।

आदिवासी अधिकार मंच के प्रफुल लिंडा ने प्रशासन द्वारा स्टैन स्वामी के साथ अमानवीय बर्ताव की कड़ी निंदा की। कांग्रेस के जिला सचिव संजय पांडे ने कहा कि स्टैन की गिरफ़्तारी केंद्र सरकार की झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों की लूट बढ़ाने की साज़िश का एक हिस्सा है।

झारखंड की जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने कहा कि पूरा देश स्टैन की गिरफ़्तारी का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि गाँव गाँव में लोग स्टैन स्वामी द्वारा शुरू किये गए लैंड बैंक नीति के विरुद्ध संघर्ष को जारी रखे गहुए हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को लोगों पर लग रहे झूठे आरोपों का संज्ञान लेना पड़ेगा।

बगोदर से भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि ये सड़के और राजभवन इस बात के गवाह है कि स्टैन बार बार वंचितों और आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों व जन अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले अन्य लोगों पर झूठे आरोपों का सिलसिला मोदी सरकार के कार्यकाल में बहुत बढ़ गया है। भीमा कोरेगांव की तर्ज पर अब CAA-NRC का विरोध करने वाले राजनैतिक नेताओं व छात्रों पर दिल्ली में दंगे फैलाने के झूठे आरोप लग रहे है। उन्होंने सभी विपक्षी दलों से अपील की कि वे स्टैन स्वामी की रिहाई के लिए एकजुट हो।  CPI(ML) के भुनेश्वर केवट ने कहा कि जो भी संविधानिक मूल्यों की बात करता है, वह मोदी सरकार का निशाना बन जाता है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी ने कहा कि स्टैन की रात के अँधेरे में गिरफ़्तारी बहुत निंदनीय है। उन्होंने पूछा कि जब स्टैन से उनके आवास पर पूछताछ की जा सकती है, तो उन्हें जेल में बंद करने की क्या ज़रुरत है?

कांग्रेस नेता प्रभाकर तिर्की ने कहा कि UAPA कानून को तुरंत रद्द किया जाए, इसके तहत किसी को भी “गैर-कानूनी” करतूतों के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। उन्होंने पूछा कि यह कौन तय करेगा कि कौन कौन सी गतिविधि गैर-कानूनी है? उन्होंने जोड़ा कि NIA केंद्र सरकार के इशारे के अनुसार काम कर रही है। राज्य आदिवासी सलाहाकार परिषद के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने कहा कि मोदी से पहले किसी भी राजनैतिक नेता ने स्टैन स्वामी के विरुद्ध झूठे आरोप नहीं लगाए थे। भाजपा सरकार पूरे देश में डर का माहौल फैला रही है।

CPI नेता भुनेश्वर मेहता ने कहा कि भारत का संविधान और लोकतंत्र खतरे में है। NIA ने सीताराम येचुरी और योगेन्द्र यादव जैसे जनता के नेताओं को भी झूठे आरोपों से नहीं छोड़ा है।

अन्य वक्ताओं और प्रतिभागियों आलोका कुजूर, नदीम खान, प्रभाकर तिर्की, प्रवीर पीटर, एलीना होरो, विनोद कुमार, सुशांतो मुखर्जी, पीटर मार्टिन, पी.एम. टोनी, दामोदर तूरी, कनक, नौरीन, सुगिया और पुनीता टोपनो शामिल  थे।

सभी पार्टियों के नेताओं ने कहा कि उनका दल स्टैन स्वामी के साथ है और उनकी तुरंत रिहाई की मांग करता है।

धरने के अंत में प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा और उनसे अपील की कि वे केंद्र सरकार को उनकी मांगों के विषय में सूचित करें – मांग पत्र में कहा गया है कि

  1. स्टैन स्वामी समेत सभी राजनैतिक बंदियों को तुरंत रिहा किया जाए।
  2. भीमा कोरेगांव मामले को बंद किया जाए व दिल्ली के दंगों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध फ़र्ज़ी मामलों को तुरंत रद्द किया जाए।
  3. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124क (राजद्रोह) एवं धारा 499 (मानहानि), विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) एवं राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) को रद्द किया जाए।

राज्यपाल को दिया गया ज्ञापन

 

श्रीमती द्रौपदी मुर्मू

माननीय राज्यपाल, झारखंड

महामहिम महोदया

झारखंड में आदिवासी अधिकारों पर संघर्षत फादर स्टैन स्वामी की रिहाई की अपील

जोहार.

8 अक्टूबर 2020 को नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने रांची से 83-वर्षीय फादर स्टैन स्वामी को भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया और रातो-रात मुंबई ले गयी।

स्टैन स्वामी दशकों से झारखंड के आदिवासियों एवं मूलवासियों के अधिकारों के लिए काम करते आये हैं। उन्होंने विस्थापन, प्राकृतिक संसाधनों पर समुदाय के अधिकार और विचाराधीन कैदियों की स्थिति पर बेहद शोधपरक काम किया है। वे लगातार संविधान की पांचवी अनुसूची एवं पेसा कानून के क्रियान्वयन के लिए भी अभियान करते आये हैं। उन्होंने मुखर रूप से पिछली राज्य सरकार द्वारा CNT-SPT कानूनों में किए गए संशोधनों और लैंड बैंक नीति का विरोध किया है। साथ ही साथ, उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति लगातार जागरुक किया है। हम स्टैन को विशेषकर एक सज्जन, ईमानदार और जन-हित में काम करने वाले इन्सान के रूप में जानते हैं। हमारे मन में उनके लिए और उनके काम के लिए सर्वोच्च्च सम्मान है।

हमारी स्पष्ट मान्यता है कि भीमा कोरेगांव केस केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित एक आधारहीन और फर्जी मुकदमा है। इस केस का उद्देश्य सिर्फ देश के आदिवासी, दलित एवं वंचितों के हक की बात करने वाले और सरकार की जन-विरोधी नीतियों पर सवाल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को परेशान करना है। दो साल में भीमा कोरेगांव मामले को महाराष्ट्र की स्थानीय हिंसा के मामले से एक राष्ट्रिय षड्यंत्र का रूप दे दिया गया।

इस मामले में अनेकों सामाजिक कार्यकर्ताओं से पूछताछ हुई है, कई के घरों पर छापे मारे गयें और अभी तक स्टैन समेत कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील, सांस्कृतिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शामिल हैं। इन सभी कार्यकर्ताओं पर कई फ़र्ज़ी मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें मुख्यतः विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) और देशद्रोह की धाराएं भी शामिल हैं। मज़ेदार बात है कि गिरफ़्तार हुए कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भीमा-कोरेगांव के उत्सव व उसके एक दिन पहले आयोजित एल्गार परिषद में भाग तक नहीं लिया था। यह भी सोचने का विषय है कि पिछले तीन दशकों में स्टैन पर झारखंड में कभी भी इस प्रकार के आरोप नहीं लगे हैं।

हम झारखंड के विभिन्न जन आन्दोलनों, जन संगठनों, वाम दल व राष्ट्रीय विपक्षी दलों के प्रतिनिधि स्टैन स्वामी व अन्य राजनैतिक बंदियों की गिरफ़्तारी के विरुद्ध आज “स्टैंड फॉर स्टैन स्वामी” के रूप में उनकी रिहाई की मांग के लिए ज़िला स्कूल से राजभवन तक न्याय मार्च किए हैं. संगठनों की सूचि व इस मामले सम्बंधित निर्गत पर्चा संलग्न है।

हम आपसे अपील करते हैं कि आप केंद्र सरकार तक हमारे निम्न मांग प्रेषित करें: 1) स्टैन स्वामी समेत सभी राजनैतिक बंदियों को तुरंत रिहा किया जाए, 2) भीमा कोरेगांव मामले को बंद किया जाए व दिल्ली दंगों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध फ़र्ज़ी मामलों को तुरंत रद्द किया जाए एवं 3) भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124क (राजद्रोह) एवं धारा 499 (मानहानि), विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) एवं राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) को रद्द किया जाए।

धन्यवाद

“स्टैंड फॉर स्टैन स्वामी” की ओर से


रूपेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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