पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री को एक शिकायती ख़त लिखा है। इस पत्र की भाषा और इसके मजमून को समझें तो ये बात काफी गंभीर लगती है। इस पत्र में ममता ने प. बंगाल के लिए मनरेगा और पीएम आवास योजना के फंड जारी न किए जाने की शिकायत की है।
क्या लिखा है पत्र में?
प. बंगाल की सीएम ने इस चिट्ठी की शुरुआत करते हुए कहा है कि ये बेहद हैरानी की बात है कि भारत सरकार, उसके महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना के और पीएम आवास योजना का फंड जारी नहीं कर रही है। इसके आगे ममता लिखती हैं, “आप जानते हैं कि मनरेगा के तहत दी जाने वाली मज़दूरी, ग्रामीण लोगों की आजीविका का एक अहम साधन है और इस अहमतियत को ध्यान में रखते हुए ही, एक्ट में पारिश्रमिक का भुगतान 15 दिन के अंदर करने का प्रावधान है”
आगे ममता इसका ब्यौरा देती हैं और लिखती हैं, “पश्चिम बंगाल में यह भुगतान पिछले 4 माह से अधिक से रुका हुआ है, क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्य को लगभग 6,500 करोड़ का फंड रिलीज़ नहीं किया है, जिसमें से 3,00 करोड़ पारिश्रमिक या मज़दूरी के और 3,500 करोड़ रुपए ग़ैर पारिश्रमिक भुगतान के हैं।”
इसी तरह ममता इस चिट्ठी में पीएम आवास योजना के बकाये का भी ब्यौरा देती हैं। वे लिखती हैं, “प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत, पश्चिम बंगाल भारत में नंबर 1 पर है और 2016-17 से लेकर अब तक राज्य में 32 लाख से अधिक घर आवंटित किए जा चुके हैं। इस प्रदर्शन के बावजूद पश्चिम बंगाल के लिए नए फंड्स का आवंटन, केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से रुका हुआ है और बड़ी संख्या में लोग, अपने लिए आवास की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”
चिंता की बात!
इसके पहले भी ममता बनर्जी, पीएम पर जीएसटी बकाया के भुगतान के न होने के लेकर निशाना साध चुकी हैं। वित्त मंत्रालय भी ये स्वीकार कर चुका है कि उसके पास फंड्स की कमी के कारण 75,000 करोड़ से अधिक का राज्यों का जीएसटी भुगतान नहीं हो सका है। ऐसे में, जैसा कि हमने कहा कि ये पत्र – दो तरह से चिंताजनक हो सकता है;
- यदि यह भुगतान महज राजनैतिक कारणों से नहीं हो रहा है, यानी कि राजनैतिक रूप से ममता बनर्जी या तृणमूल सरकार की लोकप्रियता कम करने के लिए – तो यह दरअसल ममता बनर्जी से कहीं ज़्यादा, बंगाल की जनता के साथ अन्याय है और ऐसा कोई भी जन-हितकारी सरकार नहीं करेगी।
- यदि ये फंड्स की कमी से हो रहा है, तो यह और भी अधिक चिंता की बात है क्योंकि अब ये शिकायतें इतनी ओर से और इतनी बार आ रही हैं कि ये संदेह पैदा कर रही हैं कि देश की असल आर्थिक स्थिति है क्या और हमारी अर्थव्यवस्था जिस ओर जा रही है, क्या सरकार उसे लेकर वाकई सच बोल रही है?