महाराष्ट्र: सिंचाई घोटाले से जुड़े 9 केस बंद, मामले अजित पवार से जुड़े नहीं थे-ACB

अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने के दो दिन बाद ही 70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ मामलों की फाइल बंद कर दी गई है। सोमवार को ही केस बंद करने के आदेश जारी हुए। सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हो रहा है। हालांकि, महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो का कहना है कि बंद किए गए इन 9 मामलों में अजित पवार आरोपी नहीं  थे। 

महाराष्ट्र में सत्ता के दंगल में जहां कल सुबह सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। इस बीच एक खबर है कि प्रिया चौहान नाम की एक मतदाता ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की है कि अदालत बीजेपी-शिवसेना के चुनाव पूर्व गठबंधन पर बने रहने का निर्देश जारी करें।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पत्र की प्रति

न्यूज एजेंसी एएनआई ने एसीबी के सूत्रों के हवाले से बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल हुई चिट्‌ठी में जिन मामलों का जिक्र है, वे अजित पवार से जुड़े नहीं हैं।

एसीबी के डीजी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘जांच के बाद 24 केस में प्राथमिकी दर्ज हुई। इन 24 मामलों में एफआईआर बंद नहीं हुई हैं। पांच केस में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। 45 इन्क्वॉयरी बंद हुई हैं। चूंकि कोई अनियमितता नहीं मिली थी इसलिए इन इन्क्वॉयरिज को बंद किया गया। इन्हें बंद करने का निर्देश दो से चार महीने पहले आया था। जिन नौ इन्क्वॉयरिज को बंद किया गया है उनका अजित पवार से कोई संबंध नहीं है।”

यह भी कहा गया है कि मामले सशर्त बंद किए गए हैं। यानी कोई नई जानकारी सामने आने पर इन्हें जांच के लिए दोबारा खोला जा सकता है।

यह घोटाला विदर्भ क्षेत्र में हुआ था जब राज्य में कांग्रेस और राकांपा की गठबंधन सरकार थी। 1999 और 2014 के बीच अजित पवार इस सरकार में अलग-अलग मौकों पर सिंचाई मंत्री थे।

आर्थिक सर्वेक्षण में यह सामने आया था कि एक दशक में सिंचाई की अलग-अलग परियोजनाओं पर 70 हजार करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद राज्य में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार महज 0.1% हुआ। परियोजनाओं के ठेके नियमों को ताक पर रखकर कुछ चुनिंदा लोगों को ही दिए गए।

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