इलाहाबाद: गंदे कपड़े देख डॉक्टरों ने नहीं किया चाय वाले का इलाज, शव के साथ वकीलों ने किया चक्का जाम

सरकारी अस्पताल शायर इस लिए बनाए जाते है ताकि वहां गरीबों को सुविधाएं मिल सके। सरकारी अस्पालों में फ्री दवाएं, कम खर्च की सुविधा आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगो के लिए ही होती है जो अपना इलाज बड़े-बड़े अस्पतालों में मोटो रकम चुका कर नही करा पाते। पर प्रयागराज का बेली अस्पताल शायद सरकारी अस्पतालों के मायने बदलना चाहता है। दरअसल, आज कचहरी में वकीलों की सेवा करने वाले सुभाष यादव की मौत हो गई। सुभाष के शव को लेकर वकीलों ने जमकर हंगामा किया। उन्होंने शव को रखकर सड़क जाम भी लगा दिया। वकीलों का आरोप था कि बेली हास्पिटल के डाक्टरों ने सुभाष का इलाज नहीं किया। क्यों नहीं किया? इसकी वजह सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे।

वकीलों को चाय-पानी देकर करता था गुज़ारा..

सुभाष यादव उर्फ बांके कुंडा प्रतापगढ़ का रहने वाला था। वह कचहरी में अपने साथी अमित कुमार के साथ कचहरी में ही रहता था और दोनों वकीलों को चाय-पानी लाकर देते थे। जिससे उन्हें थोड़ा बहुत पैसा मिलता था। इसी पैसे से वह अपना पेट पालते थे। सुभाष पिछले कुछ दिनों से बीमार था। बुधवार 8 सितंबर को दिन में वह डिवाइडर पर लेटा था लेकिन जब शाम को वकीलों ने उसे देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी।

File photo

गंदे कपड़े देखकर भागा दिया..

अमित कुमार ने वकीलों को बताया कि मंगलवार को वह सुभाष को लेकर बेली अस्पताल गया था। वहां जाने पर अस्पताल में मौजूद डाक्टरों ने सुभाष के गंदे कपड़े देखकर इलाज करने से इनकार कर दिया और उसे भगा दिया। यह बात सुनते ही वकील भड़क गए। वकीलों की भीड़ ने  सुभाष की लाश को सड़क पर रखकर चक्का जाम कर दिया। वकीलों ने डाक्टरों के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की उन्होंने डाक्टरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की। बाद में जब पुलिस वहां पहुंची तो किसी तरह  अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर मामले को शांत किया। और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

डॉक्टर भेदभाव करेंगे तो इलाज की उम्मीद किस्से?

जान बचाने की कसम खाने वाले डॉक्टर ही जब अमीर – गरीब, साफ – गंदे के बीच भेदभाव करने लगे तो उनसे गरीबों का ईमानदारी से इलाज करने की उम्मीद कैसे की जाए? सरकारी अस्पतालों को अमीरों और साफ-सुथरे लोगों के लिए तो नहीं बनाया जाता है। यह अस्पताल उन लोगो की जान बचाने के लिए ही खड़े किए जाते है जिनके दिन रात मजदूरी करके कपड़े गंदे होते है। तो कैसे डॉक्टरों ने गंदे कपड़े देख इलाज से इनकार किया? यूपी सरकार को इस मामले में जल्द जांच करा कर अस्पताल के खिलाफ सख्त कारवाही के निर्देश देने चाहिए।

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