बदलता मौसम: कुशवाहा कांग्रेस के साथ, पासवान ने राफेल पर जेपीसी की राहुल की माँग का समर्थन किया

चिराग पासवान ने राफ़ेल डील पर जेपीसी की माँग का समर्थन करके केंद्र सरकार को असहज कर दिया है

आख़िरकार वही हुआ जिसके बारे में मीडिया विजिल ने काफ़ी पहले आपको बताया था। यानी कुछ दिन पहले एनडीए छोड़ने वाले आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा आज कांग्रेस वाले महागठबंधन में शामिल हो गए। उधर, सीट समझौते के लिए बीजेपी को 31 दिसंबर तक का अल्टीमेटम देने वाली लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने राफ़ेल डील पर जेपीसी की माँग का समर्थन करके केंद्र सरकार को असहज कर दिया है।

उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस मुख्यालय में जिस प्रेस कान्फ्रेंस में आज महागठबंधन में शामिल होने का ऐलान किया उसमें शरद यादव और तेजस्वी यादव के साथ-साथ सोनिया गाँधी के निजी सचिव अहमद पटेल भी मौजूद थे। ज़ाहिर है, इसे बिहार में महागठबंधन का बड़ा दांव माना जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इससे महागठबंधन का पलड़ा भारी होना तय माना जा रहा है।

खैर कुशवाहा का जिस तरह से नीतीश कुमार के साथ 36 का आंकड़ा था, उसे देखते हुए इसकी संभावना पहले से जताई जा रही थी लेकिन बीजेपी के लिए मुसीबत ‘मौसम विज्ञानी’ कहे जाने वाले रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी की ओर से आ रही है। मौके की नज़ाकत को देखते हुए लोजपा लोकसभा की ज्यादा सीटो के नाम पर दबाव बना दिया है। लेकिन बीजेपी या कहिए कि सीधे प्रधानमंत्री मोदी को असहज करने वाली बात ये है कि चिराग पासवान ने राफेल डील को लेकर जेपीसी के गठन की राहुल गाँधी की मांग का समर्थन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप झेल रही मोदी सरकार इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं है। लेकिन एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में चिराग ने कहा है कि अगर कहीं गड़बड़ नहीं हुई तो जेपीसी जाँच में बुराई क्या है। यही नहीं, उन्होंने नोटबंदी को लेकर भी सवाल उठाए हैं।

राजनीतिक हलको में माना जा रहा है कि लोजपा के इस दबाव के पीछे सीधे रामविलास पासवान हैं जो चिराग के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं। उन्होंने सारे फैसले लेने का हक चिराग पासवान को दे दिया है जो पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड का चेयरमैन हैं।

यह संयोग नहीं कि चिराग पासवान अचानक राहुल गांधी की तारीफ करने लगे हैं। जेपीसी की मांग और नोटबंदी पर सवाल बताता है कि वे बीजेपी से तगड़ी बार्गेनिंग कर रहे हैं। लोकजनशक्ति पार्टी की ओर से राम विलास के भाई पसुपति पारस भी प्रेस कान्फ्रेंस करके कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव में बिहार में उनकी पार्टी को सात सीटों से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा। यही नहीं, पार्टी झारखंड में भी सीटों पर दावा कर रही है।

बीजेपी की परेशानी यह है कि नीतीश कुमार के गठबंधन में आने के बाद अगर वह पासवान के आगे झुक गई तो फिर उसके लिए नाम भर की सीटें बचेंगी जबकि अभी उसके पास बिहार की 40 में से 22 सीटें हैं। जेडीयू भी 20 सीट पर दावा कर रही है।

जो भी हो, मौसम विज्ञानी पासवान के इस रुख ने बिहार को लेकर सस्पेंस तो पैदा कर ही दिया है। कोई आश्चर्य नहीं कि वे भी जल्दी ही कुशवाहा की राह पर जाते नजर आएँ।               

First Published on:
Exit mobile version