अर्णव गोस्वामी की गिरफ़्तारी को प्रेस पर हमला बताने के गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर कश्मीर के पत्रकारों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है। कश्मीर टाइम्स की एडिटर अनुराधा भसीन ने कहा है कि इस आईने में अमित शाह को अपनी शक्ल देखनी चाहिए। इस सरकार ने कश्मीर के और देश के तमाम पत्रकारों को बुरी तरह परेशान किया है।
Have you looked in the mirror? Or Kashmir? Or the many journalists your government has jailed in many parts of India? https://t.co/QWeYXQ3xsJ
— Anuradha Bhasin (@AnuradhaBhasin_) November 4, 2020
ग़ौरतलब है कि गृहमंत्री अमित शाह ने आज सुबह अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा था कि यह प्रेस की आज़ादी पर हमला है और उसका सख्ती से विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने इस घटना की तुलना आपात्काल से की। कई अन्य मंत्रियों ने भी अर्णव का समर्थन करते हुए इसी लाइन पर बयान दिये।
ग़ौरतलब है कि पिछले दिनों ही कश्मीर टाइम्स के श्रीनगर संस्करण को बंद कराने का दबाव डाला गया था। कश्मीर के कई अन्य पत्रकारों ने भी कश्मीर में प्रेस की आज़ादी कुचले जाने को लेकर सवाल उठाये हैं।
Thirty two Kashmiri journalists of repute and unquestionable integrity have been intimidated, harassed, summoned to stations, fake cases registered against several of them, offices of leading newspapers raided and some sealed, media forced into silence. And it is all changa se!
— Gowhar Geelani (@GowharGeelani) November 4, 2020
अर्णब गोस्वामी को एक वित्तीय घपले और ख़ुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस मामले को पत्रकारिता या चौथे खंभे से जोड़ने पर हैरानी जतायी जा रही है। सरकार की सक्रियता भी सवालों के घेरे में है। देश के तमाम ऐसे पत्रकार जो आज़ाद पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे, सरकार के दबाव में नौकरी से बाहर हुए हैं। कई संस्थान बंद हुए हैं। मोदी युग में गोदी मीडिया जैसा नया मुहावरा बना है। लेकिन इन तमाम मुद्दों पर सरकार की ओर से कभी सफाई नहीं आयी।
BJP govt exposes its hypocrisy. While its ministers are stretching out to support Arnab, they have been cracking down on media in Kashmir and other parts of the country in various ways including slapping of fabricated criminal cases. #freemedia
— Anuradha Bhasin (@AnuradhaBhasin_) November 4, 2020
जिस तरह पूरी सरकार अर्णब के पक्ष में खड़ी है, वह बताता है कि अर्णब गोस्वामी की पत्रकारिता सत्ता से सवाल करने की नहीं, उसका प्यादा बनने की है।