अमेरिकी सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान से बाहर जाने के फ़ैसले के बाद दो महीने से भी कम समय में, तालिबान ने देश की राजधानी काबुल पर कब्ज़ा कर लिया है। इस तरह से अफ़गानिस्तान में सत्ता परिवर्तन अंतिम परिणिति पर जा पहुंचा है और राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी देश छोड़ कर भाग गए हैं। तालिबान के काबुल पहुंचने के कुछ घंटे पहले ही अशरफ़ गनी, देश छोड़ कर निकल गए और एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने कहा,
“आज मुझे एक कठिन निर्णय करना था। वो ये कि या तो मैं हथियारबंद तालिबान जो राष्ट्रपति भवन में दाख़िल होना चाहते थे – उनके सामने खड़ा हो जाऊं या फिर अपने प्यारे देश, जिसकी सुरक्षा के लिए मैंने अपना जीवन लगा दिया है – उसे छोड़ दूं। लेकिन इस दौरान अनगिनत लोग मारे जा सकते थे और हमें काबुल शहर की तबाही देखनी पड़ती। ऐसे में, 60 लाख आबादी के शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो जाती.”
अशरफ़ गनी ने आगे इसी पोस्ट में तालिबान के हाथों में सत्ता जाने की पुष्टि के साथ ही, तालिबान पर आगे के अफ़गानिस्तान का ज़िम्मा डाल दिया। उन्होंने लिखा,
“तालिबान ने तलवारों-बंदूक़ों के दम पर जीत हासिल कर ली है, अब मुल्क की जनता के जान, माल और इज़्ज़त की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी तालिबान पर है। लेकिन वो दिलों को जीत नहीं सकते हैं। इतिहास में कभी भी किसी को सिर्फ़ ताक़त से ये हक़ हासिल नहीं हो सका है। तालिबान के सामने अब एक ऐतिहासिक परीक्षा है, या तो वो अफ़ग़ानिस्तान का नाम और इज़्ज़त बचाएंगे या दूसरे इलाक़े और नेटवर्क्स।”
उधर रविवार की रात ही तालिबान काबुल के अंदर पहुंचा और उसके लड़ाकों ने राष्ट्रपति भवन (प्रेसीडेंशियल पैलेस) पर बिना किसी संघर्ष के क़ब्ज़ा कर लिया। आधी रात से ही, अलजज़ीरा समेत तमाम नेटवर्क्स पर तालिबान के लड़ाकों के राष्ट्रपति की मेज़ पर बैठ कर तस्वीरें खिंचाते हुए विसुअल दिखाई देने लगे थे।
हमने काबुल में अपने संपर्कों से जो बातचीत की, उसके मुताबिक वहां शाम से पहले लगातार फायरिंग की आवाज़ें आनी शुरू हुई और फिर रात भर वहां विस्फोटों की आवाज़ें शहर में आती रही हैं। इसके अलावा हमसे वहां के स्थानीय पत्रकारों और निवासियों ने काबुल के कुछ इलाकों पर अभी भी नियंत्रण के लिए संघर्ष चलने की ख़बर की पुष्टि की है। मीडिया विजिल को स्थानीय पत्रकारों ने बताया है कि तालिबान लड़ाके, पूरे काबुल में पुलिस और आर्मी की गाड़ियों पर क़ब्ज़ा कर के पेट्रोलिंग कर रहे हैं। साथ ही, एयरपोर्ट पर अभी तालिबान ने संभवतः इसलिए क़ब्ज़ा नहीं किया है क्योंकि वह ख़ुद भी तमाम देशों के राजनयिकों और कर्मचारियों को वहां से निकलने का पूरा मौका देना चाहता है।
लेकिन जिस तरह से काबुल के आम लोग और ख़ासतौर पर वहां का निम्न मध्यवर्ग, मध्यवर्ग और उच्च मध्यवर्ग शहर से निकल कर सुरक्षित जगहों पर जाना चाहता है – उसके कारण काबुल एयरपोर्ट से शहर के बाहर के उस इलाके की ओर जाने के रास्तों पर लंबे जाम लग गए हैं – जिस ओर बाहर के इलाके तालिबान के नियंत्रण में नहीं हैं। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि उनके लड़ाके, न तो किसी के घर के अंदर जाएंगे और न ही किसी को शहर छोड़ने से रोकेंगे।
तमाम देश काबुल में मौजूद अपने दूतावासों से अपने राजनयिकों और नागरिकों को निकालने की कोशिशें तेज़ कर रहे हैं। राजधानी में अफ़रा-तफ़री का माहौल देखने को मिल रहा है और लोग जल्द से जल्द देश छोड़ कर भागने की कोशिश कर रहे हैं। यूके के करीब 600 और अमेरिका के लगभग 5000 सैनिक वहां मौजूद दूतावासों और अन्य विभागों के कर्मचारियों को बाहर निकाल रहे हैं। इनमें अफ़गान नागरिक भी शामिल हैं, जो इन देशों के कर्मचारी हैं और देश छोड़ना चाहते हैं। साथ ही ईरान ने हेरात शहर में अपने राजनयिकों की सुरक्षा की मांग तालिबान से की है।
इस सत्ता परिवर्तन की औपचारिक घोषणा को अशरफ़ गनी ने ख़ुद ही कर दी थी। लेकिन तालिबान की ओर से इस पर औपचारिक बयान आने लगे हैं, तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है, “संगठन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है और किसी भी मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है। अफ़गानिस्तान में युद्ध ख़त्म हो गया है और जल्द ही सरकार के गठन पर और अधिक जानकारी दी जाएगी।”
तालिबान ने कहा कि उसे यहां तक पहुंचने के लिए 20 साल का इंतज़ार करना पड़ा है। बदलते माहौल में, कई शहरों के गर्वनरों ने तालिबान के सामने खुद ही आत्मसपर्मण कर दिया है।रविवार को सुबह ख़बर आई कि तालिबान ने नांगरहार सूबे की राजधानी को बिना गोली चलाए क़ब्ज़े में ले लिया है। इसके अलावा रॉयटर्स के मुताबिक जलालाबाद में कोई संघर्ष नहीं हुआ क्योंकि गवर्नर ने तालिबान के आगे पहले ही आत्मसमर्पण कर दिया। इसकी पुष्टि पत्रकार तारिक़ ग़ज़नीवाल ने कुछ तस्वीरें ट्वीट कर के की थी, जिसमें देखा जा सकता है कि वहां के गवर्नर तालिबान को वहां का नियंत्रण सौंप रहे हैं।
#BreakingNews :In #Jalalabad, #Kabul Administrative Governor @ZiaulhaqAmarkhi officially handed over the province to Shikh Nida Muhammad , Governor of the Islamic Emirate for #Nangarhar pic.twitter.com/S2G9gYc6bm
— Tariq Ghazniwal (@TGhazniwal) August 15, 2021
इस बीच ख़बर ये आई है कि अफ़गानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी, फिलहाल ओमान में हैं। उनके विमान को ताजिकिस्तान में लैंड करने की इजाज़त ही नहीं दी गई है। इसके बाद से वे अभी तक ओमान में ही हैं। माना जा रहा है कि वे अमेरिका से राजनैतिक शरण की अनुमति का इंतज़ार कर रहे हैं और अनुमति मिलते ही अमेरिका रवाना हो जाएंगे।
शुरुआती रिपोर्ट्स में अफ़गानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के लिए कहा गया था कि वो ताजिकिस्तान भागे हैं। लेकिन अल-जज़ीरा की एक ख़बर में, ग़नी, उनकी पत्नी, सेना प्रमुख और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद गए हैं। ये ख़बर राष्ट्रपति के निजी बॉडीगार्ड के हवाले से दी गई, हालांकि सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की और अब बताया जा रहा है कि वे ओमान में हैं।
(ये स्टोरी, मीडिया विजिल के एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर मयंक सक्सेना ने काबुल समेत अफ़गानिस्तान के अन्य शहरों, अन्य देशों में रहने वाले अफ़गानियों और अमेरिका में अपने संपर्कों से बातचीत के आधार पर लिखी है।)