‘फ्लावर नहीं, फायर हूं..’ पुष्पा स्टाइल दिखाकर बोले जिग्नेश मेवानी, किया आंदोलन का एलान!

असम में दो मामलों में ज़मानत के बाद, रिहा होकर दिल्ली पहुंचे जिग्नेश मेवानी सोमवार को कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे और वहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। मेवानी को असम पुलिस ने उनकी, प्रधानमंत्री को लेकर की गई, एक ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया था और उस में बेल मिलने के तुरंत बाद एक महिला कांस्टेबल के साथ अभद्रता का मामला दर्ज कर के गिरफ्तार कर लिया था। मेवानी, गिरफ्तारी के दौरान जिस तेवर में दिखे थे, उसी में प्रेस कांफ्रेंस में भी दिखे। कांग्रेस के और नेताओं की मौजूदगी में उन्होंने भाजपा के ख़िलाफ़ गुजरात में आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया। उन्होंने अपनी बात की शुरूआत ये कहकर की, कि वे सरकार के इस दमन से बिल्कुल भी घबराए नहीं हैं। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग कुछ मुद्दे उठाए और कहा कि गुजरात में उनकी गिरफ्तारी तो असम पुलिस ने भी आकर कर ली। लेकिन जो असल अपराधी हैं, उनकी गिरफ्तारी कब होगी?

गुजरात में 22 परीक्षा पेपर लीक हुए, कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

जिग्नेश ने सवाल किया कि गुजरात में पिछले एक दशक में 22 परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। आख़िर उन मामलों में आजतक कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?

एक लाख 75 हजार करोड़ के ड्रग्स को लेकर कोई जांच क्यों नहीं?

गुजरात में मुंद्रा के पोर्ट पर 1 लाख 75 हजार करोड़ के नारकोटिक्स के पकड़े जाने को लेकर जिग्नेश ने सवाल किया कि जिस ड्रग्स की, इंटरनेशनल मार्केट में कीमत 1 लाख 75 हजार करोड़ है, वह जिस मुंद्रा के पोर्ट पर पाया गया, उसकी कोई जांच क्यों नहीं हुई? यदि आपके घर में 10 ग्राम भी ड्रग्स पकडा जाए पत्रकार साथियोंआपको भी नहीं छोड़ेंगे। लेकिन गौतम अडानी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहींकोई एफआईआर नहींकोई जांच नहीं और कोई इनवेस्टिगेशन और कोई इंटेरोगेशन के लिए एक बार भी नहीं बुलाया।

भाजपा के मंत्री के ख़िलाफ़ बलात्कार का आरोप

गुजरात सरकार के एक मंत्री को लेकर जिग्नेश ने सवाल किया कि गुजरात भाजपा की एक दलित समाज की महिला कार्यकर्ता ने भाजपा के सिटिंग मंत्री के खिलाफ लगातार बलात्कार करने का इल्जाम लगाया। गुजरात की विधानसभा में भी इस मामले को उठाया गया। उस मामले पर भी कोई इनवेस्टिगेशन नहींकोई जांच नहींकोई एफआईआर नहीं।

अल्पसंख्यकों के जनसंहार के आह्वान पर कोई कार्रवाई नहीं

हाल ही में देश में लगातार बढ़ते गए सांप्रदायिक उन्माद और हमलों को लेकर जिग्नेश ने कहा, “इस देश में धर्म संसद के नाम पर एक स्पेसिफिक समुदाय के लोगों के जनोसाइड का कल दिया जाता है। कोई इनवेस्टिगेशन नहीं होताकोई जांच नहीं होती। कुछ लोग पब्लिक्ली कहते हैं कि गोली मारो सालों कोफिर भी उस पर इनवेस्टिगेशन नहीं होती हैकोई जांच नहीं होतीएफआईआर नहीं होती और मेरे केवल एक ट्वीट करने पर पीएमओ में बैठे गोडसे के भक्तों ने इतने संगीन दो एफआईआर मुझ पर कर दिए।”

अपनी ट्वीट पर दी सफाई, कहा कि उसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं

जिग्नेश को जिस ट्वीट को लेकर गिरफ्तार किया गया था, उसको लेकर भी उन्होंने स्पष्ट किया कि उसमें कुछ भी आपत्तिजनक या आपराधिक था ही नहीं। वे बोले, मैंने केवल यही कहा कि गुजरात के हिम्मतनगरखंभात और वेरावल इन तीन जगह परजहाँ पर कम्युनल टेंशन हुआ हैकम्युनल क्लैशेस हुए हैंतो क्योंकि जब प्रधानमंत्री गुजरात से हैं और वो गुजरात के दौरे पर हैंगुजरात आने वाले हैंतो मैं उनको विनती करता हूं कि महात्मा का मंदिर बनाने वाले प्रधानमंत्री मोदी साहबइस कम्युनल इशू को देखते हुए जब आप गुजरात आ रहे हैंतो प्लीज शांति और अमन बनाए रखने की अपील करें। मैंने उनको यही अपील की है कि आप गुजरात की जनता को कहें कि दंगे- फसाद ना होपिस और हार्मोनी मेंटेन करिए।

पी एम मोदी लालकिले से गोडसे के ख़िलाफ़ बोलें

इस मामले में उन्होंने सीधे कहा कि प्रधानमंत्री से क्या शांति की अपील करने को कहना, अपराध है? या फिर उनके ऊपर जो कार्रवाई हुई, वो सीधे पीएम की इच्छा से हुई? उन्होंने कहा, क्या इस देश में शांति और अमन बनाए रखने की अपील प्रधानमंत्री करेये कहना कौन से कानून के तहत ये ऑफेंस बनता है और यदि उनको तकलीफ मिर्ची इस बात से लगी कि मैंने कहा कि गोडसे के भक्त हैं। मैं इस प्रेस वार्ता के माध्यम से उनको चैलेंज करता हूं कि भैयालाल किले के प्राचीर पर चढ़कर गोडसे मुर्दाबाद का नारा एक बार लगा दीजिए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। आज जो भी सब्जेक्ट पर इस देश के न्यूज चैनल पर डिबेट होंवहाँ भाजपा के सारे पत्रकार कहें कि गोडसे मुर्दाबादतो सवाल ही नहीं रहेगा। लेकिन आप शांति और अमन का अपील नहीं करना चाहते

असम पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

असम पुलिस की कार्रवाई, जिस पर ख़ुद वहां की अदालत अपने फ़ैसले में सवाल उठा चुकी है, उस पर जिग्नेश ने कहा,  “मैं सीटिंग एमएलए हूं, अचानक पुलिस रातों-रात 2500 किलोमीटर की दूरी तय करके असम से गुजरात आती है। 19 तारीख को एफआईआर हुई, मुझे समझ नहीं आ रही है कि उन्होंने कितने बजे फ्लाइट बुक कराई। कोकराझार पुलिस स्टेशन और गुवाहाटी 4 घंटे की दूरी है, साढ़े चार घंटे होते हैं, वहाँ से आप गुवाहटी पहुंचते हो। गुवाहटी से बैंगलोर की फ्लाइट, बैंगलोर से अहमदाबाद की फ्लाइट, अहमदाबाद से आप 140 किलोमीटर दूर वडगाम मेरे कास्टिट्यूंसी मुझे आप गिरफ्तार करने आए।”

आगे प्रोटोकॉल का उल्लेख करते हुए, साथ ही असम पुलिस की नीयत पर सवाल करते हुए, जिग्नेश ने कहा, “मतलब कहीं ना कहीं एफआईआर करने से पहले आपके फ्लाइट की टिकट बुक हो चुके थे। गिरफ्तार करके मुझे ले गए, तब मुझे बता नहीं रहे। उनको मालूम नहीं कि मैं वकील हूं। मुझे वो बोल नहीं रहे कि कौन सा मुकदमा है। एफआईआर की कॉपी नहीं दे रहे, कौन सी सेक्शन लगी, वो नहीं बता रहे, मेरे परिवार से, मेरे माता-पिता से बात करने की अनुमति नहीं। मेरे वकील से बात नहीं करने दी। यहाँ तक कानून की धज्जियां उड़ा कर एक एमएलए का जो प्रोटोकॉल और प्रिवलेज होता है, उसकी तरफ पूरा ब्लाटन डिसरिकोर्ड करते हुए गुजरात की विधानसभा के स्पीकर को भी बताया नहीं, उनको भी बताया नहीं, उनको भी जानकारी नहीं थी, उनको भी पता नहीं थी कि हमारे एक सीटिंग एमएलए को असम पुलिस गिरफ्तारी करने के लिए आई है। वो जब असम पहुंचे, शायद उसके बाद मैं उनकी कस्टडी में गया, तब शायद गुजरात की विधानसभा के स्पीकर को बताया गया कि आपके एमएलए को हम लोगों ने गिरफ्तार किया है।

‘पुष्पा’ फिल्म के अंदाज़ में सड़क पर उतरने का एलान

प्रेस कांफ्रेंस के अंत में जिग्नेश ने प्रधानमंत्री और गुजरात सरकार के सामने 3 मांगें रखी। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम के जातिवादी रवैये के कारण, दलितों पर ज़ुल्म हो रहा है। वे बोले, “उस प्रकार का आपने जो माहौल बनाया है, मैं मानता हूं कि ये देश के लिए हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। पहले उन्होंने रोहित वेमुला को सुसाइड के लिए मजबूर किया। दलित समाज के पत्रकार साथियों को जेल में डाला, चंद्रशेखर की गिरफ्तारी करवाई और अब ये लोग मुझे खत्म करना चाहते हैं। कोई युवा बोले, कोई पत्रकार बोले, कोई वकील बोले और उसमें भी यदि कोई दलित समाज का युवा लीडर बोलता है तो मोदी साहब अपने कास्ट बायस के चलते उसको हजम नहीं कर पा रहे।”

इस के बाद उन्होंने 3 मांगें रखते हुए, सीधे प्रधानमंत्री को चुनौती दी और कहा;

इसके बाद उन्होंने साफ कहा कि अगर 1 महीने के अंदर ये मांगें नहीं मानी जाती हैं, जो वे 1 जून से कांग्रेस के गुजरात चैप्टर के साथ सड़क पर उतरेंगे और फिर फिल्म पुष्पा के अंदाज़ में कहा, “मोदी जी आप भी गुजरात से हैं, मैं भी गुजरात से हूं। आप भी समझ लीजिए, जैसा कि मेरे साथी ने कहा फ्लावर नहीं फायर है, झुकेगा नहीं। It’s my challenge to you Prime Minister of India. Thank you so much.

 

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