भारत की अध्यक्षता में यूएन सुरक्षा परिषद ने तालिबान को दी मान्यता!

दिलचस्प ये है कि अफ़गानिस्तान में तेज़ी से बदले घटनाक्रमों के बीच बीजेपी नेताओं और समर्थकों ने तालिबान के ख़िलाफ़ आग उगलना शुरू किया था। उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों में तो इस आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज़ हो गयी थीं। समाजवादी पार्टी के एक पूर्व सांसद पर तो तालिबान का समर्थन की वजह से देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ था। ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए एक वर्ग को निशाना बनाया था, लेकिन अब भारत सरकार ने जिस तरह तालिबान का समर्थन किया है, उसने पार्टी की फ़जीहत करा दी है।

भारतीय टीवी चैनलों में जारी तालिबान विरोधी बारूदी अभियान के बीच भारत की अध्यक्षता वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफ़गानिस्तान में तालिबानी हुकूमत को मान्यता दे दी है। मंगलावर को हुई बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन और भारत समेत तेरह देशों ने तालिबानी हुक़ूमत को मान्यता देने का समर्थन किया, जबकि रूस और चीन जैसे वीटो पावर से लैस देशों ने इस प्रस्ताव से दूरी बना ली। बतौर अस्थायी सदस्य अगस्त माह की अध्यक्षता भारत के पास है जिसे पीएम मोदी की उपलब्धि बताते हुए मीडिया में बीते दिनों काफ़ी ढोल-नगाड़ा बजा था।

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया कि तालिबान अफगानिस्तान का उपयोग आतंकवादियों के पनाहगार के तौर पर नहीं करेगा। वहीं अफगानिस्तान का उपयोग किसी दूसरे देश से बदला लेने, धनकाने या आतंकवाद फैलाने में नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही प्रस्ताव में यह भी मांग की गई है कि जो भी लोग अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं, उन्हें अफगानिस्तान से निकलने की अनुमति भी दी जाए।

दिलचस्प ये है कि अफ़गानिस्तान में तेज़ी से बदले घटनाक्रमों के बीच बीजेपी नेताओं और समर्थकों ने तालिबान के ख़िलाफ़ आग उगलना शुरू किया था। उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों में तो इस आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज़ हो गयी थीं। समाजवादी पार्टी के एक पूर्व सांसद पर तो तालिबान का समर्थन की वजह से देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ था। ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए एक वर्ग को निशाना बनाया था, लेकिन अब भारत सरकार ने जिस तरह तालिबान का समर्थन किया है, उसने पार्टी की फ़जीहत करा दी है।

यही नहीं भारत सरकार ने तालिबान से बातचीत भी शुरू कर दी है। पिछले दिनों भारत सरकार ने दोहा में तालिबान के नेताओं से मुलाकात भी की थी। मंगलवार को भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास से बातचीत की। इसे औपचारिक बातचीत की शुरुआत मानते हुए कयास लगना शुरू हो गया है। भारत सरकार अब तालिबानी हुकूमत के साथ जल्द ही राजनयिक संबंध भी स्थापित कर सकती है।

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