गाय को राष्ट्रीय पशु और गोरक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार बनाया जाए – इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट में गोहत्या के एक मामले में ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, माननीय न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की टिप्पणियों पर सवाल उठ रहे हैं। गोकशी के आरोपी एक मुस्लिम युवक जावेद को ज़मानत देने से, जज ने ये कह कर इनकार कर दिया कि इससे हिंदुओं की आस्था आहत होती है। न्यायमूर्ति शेखर यादव की एकल खंडपीठ ने इस मामले में ज़मानत याचिका निरस्त करते हुए कहा कि आवेदक ने गाय की चोरी की और फिर उसे मार डाला। उसका सिर काटा और उसका मांस भी अपने पास रखा।

हाईकोर्ट ने इसके साथ ही टिप्पणी की कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। यही नहीं अदालत ने ये भी कहा कि गोरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार बनाया जाना चाहिए, क्योंकि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था को चोट लगती है, तो देश कमजोर हो जाता है।

ये एक आपराधिक मामले में ज़मानत की याचिका थी और इस फैसले में की गई अहम टिप्पणियों को, हम अगर बिंदुवार देखें तो वो इस तरह से हैं;

फैसले की अहम टिप्पणियां

राजनैतिक प्रतिक्रियाएं

इस फैसले के आने के बाद से ही इस पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि गौ संरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। बीजेपी इसे संवैधानिक तौर पर ले, यूपी में गोवंश पर रोक है लेकिन गोवा और असम में छूट है।

समाजवादी पार्टी की तरफ से अनुराग भदौरिया ने कहा गाय हमारी माता है लेकिन जब से बीजेपी सरकार में आई है गाय दर-दर भटक रही है।

लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि इस फैसले को लेकर संविधान क्या कहता है। इस फैसले पर उठने वाले सवालों में ये भी अहम है कि क्या गोरक्षा अगर मौलिक अधिकार है तो उसे केवल एक धर्म विशेष के लोगों के मौलिक अधिकार की तरह सीमित किया जाए। क्या किसी धर्म विशेष के लोगों को संविधान विशिष्ट मौलिक अधिकार देता है? क्या इसी तरह से लिंचिंग के मामलों को लेकर भी अदालतों को सरकारों को चेतावनी नहीं देनी चाहिए? ये सवाल इस फैसले के बाद लगातार उठने शुरू हो गए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से लेकर क़ानून तक पहले ही काफी कुछ है, फिर आख़िर सरकारें इसको शांतिपूर्ण तरीके से कानून सम्मत रूप में लागू नहीं करवा पा रही है। साथ ही सांस्कृतिक रूप से भारत की विविधता पर इस तरह के क़ानून लाने से क्या असर होगा?

First Published on:
Exit mobile version