CAG को नहीं दी गयी राफ़ेल डील की जानकारी! राहुल बोले-सरकारी ख़ज़ाना लूटा गया!

राफ़ेल डील का मामला एक बार फिर गरमा गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने अब तक भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी को राफ़ेल डील की जानकारी नहीं दी है। सीएजी ने सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएसन से राफ़ेल विमानों की ऑफसेट डील का कोई ज़िक्र नहीं है। रिपोर्ट अभी संसद में पेश नहीं की गयी है।

ज़ाहिर है, कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया है। पिछले चुनाव में राफ़ेल डील को मुद्दा बनाकर चौकीदार चोर है का नारा देने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया कि इस डील में सरकारी ख़ज़ाने की लूट हुई है। उन्होंने महात्मा गाँधी को कोट करते हुए हुए लिखा कि सच सिर्फ़ एक होता है, भले ही उसके रास्ते अलग-अलग हों। उन्होंने साथ में टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट भी शेयर की है।

 

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी प्रदीप ठाकुर की इस रिपोर्ट में सीएजी के एक वरिष्ठ अफसर के हवाले से लिखा गया है कि सीएजी रिपोर्ट में फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा किसी ऑफसेट डील की जानकारी नहीं दी गई है। रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में कोई जानकारी न देते हुए कहा है कि अनुबंध के तीन साल बाद ही डसॉल्ट एविएशन अपने ऑफसेट भागीदारों के किसी भी विवरण को तीन साल से पहले साझा नहीं करेगी ।

गौरतलब है कि भारत और फ्रांस के बीच राफेल को लेकर जो समझौता हुआ है उसके तहत 59 हजार करोड़ रुपए में फ्रांस भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान देगा। पिछले महीने फ्रांस से पांच राफेल विमान भारत को मिले हैं जिनकी तैनाती पठानकोट एयरबेस में की गई है।

दिसंबर 2019 में सरकार को सौंपी गयी परफ़र्मेंस ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएजी ने केवल 12 रक्षा खरीद अनुबंधों की समीक्षा की है। इससे पहले 32 ऑफसेट डील की समीक्षा होनी थी, पर बाद में लिस्ट को सिर्फ 12 डील तक सीमित कर दिया गया था।

डसॉल्ट एविएशन और अनिल अंबानी की तुरंत बनायी गयी रिलायंस डिफेंस के बीच सौदा हुआ था जिस पर कांग्रेस ने हमेशा ही उँगली उठायी है। सीएजी को जानकारी न देने को वह अपने आरोपों का प्रमाण बताते हुए हमलावर हो गयी है। वैसे यह मसला सुप्रीम कोर्ट गया था जहाँ सरकार के फ़ैसले को हरी झंडी दे दी गयी थी। आरोप लगा था कि सरकार ने कई जरूरी विवरण सरकार से छिपाये। अटल बिहारी वाजेपीय सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने भी इस डील पर लगातार सवाल उठाते हुए मोदी सरकार को घेरा है।

 



 

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