देश भर में प्रशांत भूषण को दोषी ठहराये जाने के खिलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों के बीच सुप्रीम कोर्ट में सुनवायी जारी है। सुनवाई को दौरान प्रशांत भूषण ने कहा है कि उन्हें सज़ा सुनाये जाने का दुख नहीं है, दुख इस बात का है कि उन्हें पूरी तरह गलत समझा गया। मुझे हर सजा मंज़ूर मैंने अपनी नागरिक ज़िम्मेदारी निबाही। मैं संविधान सम्मत अधिकारों को नकारूँगा अगर क्षमा माँगूँगा। इतिहास में परीक्षा के क्षण आ ही जाते हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जोसेफ़ कुरियन ने कहा है कि मामले की सुनवायी संविधान पीठ को करनी चाहिए।
पूरे देश की निगाहें प्रशांत भूषण की सज़ा पर लगी है। चूंकि अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस कर्णन को जेल भेज चुका है, इसलिए आशंका यही है कि प्रशांत भूषण को सख्त सज़ृा दी जाएगी। उधर, सुनवायी के दौरान प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने सजा पर बहस टालने की मांग की। कोर्ट ने उनकी मांग को खारिज कर दिया। दरअसल प्रशांत भूषण ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर कहा था कि ‘वे पुनर्विचार याचिका दायर करने का इरादा रखते हैं और जब तक याचिका पर विचार नहीं हो जाता, तब तक सज़ा पर बहस की तारीख़ टाल दी जाये। उन्होने ये भी कहा कि यही बेंच पुनर्विचार याचिका पर सुनवायी करे, यह जरूरी नहीं है।
सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा- ‘मैं दया याचना नहीं करूँगा। मैं उदारता की भी अपील नहीं करूंगा। मैं पूरी खुशी के साथ उस सजा के लिए खुद को पेश करता हूं जो कोर्ट मुझे देगा। मेरे ट्वीट एक नागरिक के तौर पर अपना कर्तव्य निभाने का एक प्रामाणिक प्रयास थे। इतिहास के इस मोड़ पर अगर मैं नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्यों को पूरा करने में नाकाम हो जाता। कोर्ट जो भी जुर्माना देगा उसके लिए मैं तैयार हूं। मांफी मांग कर मैं बेहद तिरस्कृत महसूस करूंगा।”
Recently retired judge of the SC Justice Kurian Joseph on the need for having some appeal against a Suo Moto conviction for Contempt of Court by the SC & the need for such issues of Constitutional importance to be placed before a 5/7 judge bench pic.twitter.com/HQCImJHoXv
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 19, 2020
ज़ाहिर है, सुप्रीम कोर्ट के रुख पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। सबकी नज़र फ़ैसले पर है। बहरहाल, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा, ‘हम आपको विश्वास दिला सकते हैं कि जब तक आपकी पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं होता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।’
प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके दो ‘अपमानजनक’ ट्वीट के लिए 14 अगस्त को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया गया था। न्यायालय की अवमानना कानून के तहत अवमानना के दोषी व्यक्ति को छह महीने तक की साधारण कैद या दो हजार रूपए जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
पुनस्च: सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रशांत भूषण को तीन की समय दिया है कि वे अपने बयान पर पुनर्विचार करें, लेकिन भूषण ने इसे समय की बर्बादी करार दिया है। यानी वे किसी भी सूरत में माफी नहीं मांगेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने माफ़ी माँगने को दिये तीन दिन तो बोले प्रशांत- समय की बर्बादी!