असम : NRC की अंतिम सूची जारी, 19 लाख से ज्यादा लोग हुए बाहर, असम BJP नेता नाराज

असम में शनिवार सुबह 10 बजे नेशनल सिटिज़न रजिस्टर यानी एनआरसी की आख़िरी लिस्ट जारी कर दी गई है. इस लिस्ट में 19,06,657 का नाम शामिल नहीं हैं. आख़िरी लिस्ट में कुल 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है. असम के लोग राज्य सरकार के सेवा केंद्रों पर जा कर भी लिस्ट में अपना नाम देख सकते हैं.

यह लिस्ट इंटरनेट और राज्य के 2500 एनआरसी सेवा केंद्रों, 157 अंचल कार्यालय और 33 जिला उपायुक्त कार्यालयों में उपलब्ध होगी.

जो लोग इससे संतुष्ट नहीं है, वे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के आगे अपील दाखिल कर सकते हैं. राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था के लिए 51 कंपनियां तैनात की गई हैं.

एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट आने से ठीक पहले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से कहा है कि नाम नहीं आने की सूरत में वो न घबराएं और शांति बनाए रखें.

केंद्र ने कहा कि जिन लोगों के नाम फाइनल एनआरसी में नहीं हैं, उनको तब तक विदेशी घोषित नहीं किया जा सकता जब तक सभी कानूनी विकल्प खत्म नहीं हो जाते.

केंद्र सरकार और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम के लोगों को भरोसा दिलाया है कि लिस्ट में नाम न होने पर किसी भी व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उसे अपनी नागरिकता साबित करने का हरसंभव मौका दिया जाएगा.

सरकार ने अपील दायर करने की समय सीमा भी 60 से बढ़ाकर 120 दिन कर दी है.

असम देश का अकेला राज्य है, जहां सिटिजन रजिस्टर है. इस तरह का पहला रजिस्ट्रेशन साल 1951 में किया गया था. 2018 तक 3 साल में राज्य के 3.29 करोड़ लोगों ने नागरिकता साबित करने के लिए 6.5 करोड़ दस्तावेज सरकार को भेजे.

बीते 4 साल से जारी इस काम में 62 हजार कर्मचारी 4 साल से लगे थे. असम में एनआरसी कार्यालय 2013 में बना था, पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में काम 2015 से शुरू हुआ. पहली लिस्ट 2017 और दूसरी लिस्ट 2018 में प्रकाशित हुई थी.

भारतीय सेना से जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) के पद से सेवानिवृत्त होने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह का नाम एनआरसी की अंतिम सूची में फिर से शामिल नहीं हुआ है. उन्हें इसी साल विदेशी न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित किया था. एक बार फिर उनका नाम एनआरसी सूची से बाहर है. उनके तीन बच्चों- दो बेटियां और एक बेटे का नाम सूची में शामिल नहीं है लेकिन उनकी पत्नी को भारतीय नागरिक माना गया है.
सूची में नाम शामिल न होने पर सनाउल्लाह ने कहा, ‘मैं सूची में अपना नाम शामिल होने की अपेक्षा नहीं कर रहा था क्योंकि मेरा मामला उच्च न्यायालय में लंबित है. मेरी न्यायालय पर पूरी आस्था है और मुझे पूरा विश्वास है कि मुझे इंसाफ मिलेगा.’

असम के वित्‍त मंत्री एवं भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सर्मा ने इस लिस्ट पर सवाल उठा दिए हैं.सरमा ने कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) असमिया समाज के लिए “रेड लेटर” के रूप में नहीं देखा जा सकता है.बीजेपी नेता ने संकेत दिए कि उन्हें इस बात पर थोड़ा भरोसा था कि यह लिस्ट विदेशियों से छुटकारा पाने में मदद करेगा.

उन्होंने कहा कि जैसा कि केंद्र और राज्य सरकारों के अनुरोध किया है कम से कम सीमावर्ती क्षेत्रों में 20% और शेष जगहों पर 10% पुनः सत्यापन (reverification) के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलनी चाहिए। ताकि एनआरसी सही और निष्पक्ष हो सके.

वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- ‘भाजपा को इससे सबक सीखना चाहिए. उन्हें हिंदुओं और मुसलमानों के संदर्भ में पूरे देश में एनआरसी के लिए पूछना बंद कर देना चाहिए. असम में जो हुआ है, उन्हें उससे सीख लेनी चाहिए. अवैध प्रवासियों के तथाकथित मिथक का भंडाफोड़ हुआ है.’

उन्होंने कहा मुझे मुझे डर है कि नागरिक संशोधन विधेयक के माध्यम से भाजपा एक बिल ला सकती है, जिसमें वे सभी गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने की कोशिश कर सकते हैं, जो फिर से समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा.’

इस बीच दिल्ली भाजपा प्रमुख और सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में भी हालात भयावह हैं, लिहाजा यहां भी एनआरसी लागू करने की जरूरत है. अवैध रूप से दिल्ली आकर रह रहे लोगों के चलते राजधानी में स्थिति ठीक नहीं है.

उधर तेलंगाना भारतीय जनता पार्टी के एक मात्र विधायक टी राजा सिंह ने भी कहा है कि तेलंगाना में भी एनआरसी लागू लागू हो.

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