अर्णवगेट पर हमलावर काँग्रेस: TRP के लिए देश की सुरक्षा दाँव पर! मोदी के लुटियन गैंग का सीईओ है अर्णब गोस्वामी!

'अरुण जेतली के बारे में जो कहा गया, वह तकलीफ़ेदह है। उनके साथ वैचारिक मतभेद थे पर वे सम्मानित व्यक्ति थे। बार में भी और संसद में भी। वे संसदीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। वे मृत्यु शैया पर थे, लोग दुखी थे कि वे इतनी जल्दी चले गये। लेकिन व्हाट्सऐप चैट में कहा जा रहा है कि उन्हें जीवित रखने की कोशिश क्यों हो रही है, जबकि पीएम को विदेश जाना है?'

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ़ अर्णब गोस्वामी और टीआरपी रेटिंग देने वाली संस्था बार्क के पूर्व सीईओ पार्थोदासगुप्ता के सामने आये व्हाट्सऐप चैट को लेकर कांग्रेस ने आज ज़बरदस्त हमला बोला। यूपीए सरकार के समय कैबिनेट मंत्री रहे ए.के.एंटनी, सुशील कुमार शिंदे, गुलाम नबी आज़ाद और सलमान ख़ुर्शीद ने आज इस चैटे से जुड़े अलग-अलग मुद्दों पर तीखा हमला बोलते हुए जाँच की माँग की। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि इस मामले में पीएम मोदी को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए क्योंकि अर्णब बार-बार उनका नाम ले रहा था। खेड़ा ने कहा कि लुटियन गैंग की तोहमत लगाने वाले मोदी ने अपना खुद का लुटियन गैंग बना लिया है जिसका सीईओ अर्णब गोस्वामी है।

 

आइये बताते हैं कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसने क्या कहा-

.के. एंटनी (पूर्व रक्षामंत्री)– व्हाट्सऐप चैट में जिस भाषा में चालीस जवानों की शहादत (पुलवामा) के बारे में बात की गयी है, वह बेहद दुखद है। एयर स्ट्राइक के तीन दिन पहले किसी पत्रकार को कैसे ये जानकारी हो सकता है जिससे एयरफोर्स की सुरक्षा खतरे में पड़ सकता है। सभी कैबिनेट मंत्रियों को भी ये जानकारी नहीं हो सकती। ऐसी चीज़ो के बारे में सिर्फ चार-पांच लोग जानते हैं। सेना की ओर से ऐसा नहीं हो सकता। पत्रकार को किसी मंत्री या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी सिविल सर्वेंट ने ये जानकारी दी होगी। ऑफीसियल सीक्रेट को लीक करना आपराधिक कृत्य है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े आपरेशन को लीक करना देशद्रोह भी है। इसके लिए बेहद कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन अफ़सोस आज तक सरकार ने कुछ नहीं कहा। वह चुप है।सरकार को तुरंत जाँच का आदेश देना चाहिए ताकि पता चले कि सेना के ऑपरेशऩ से जु़ड़ी जानकारी लीक करने जिम्मेदार कौन है।

सुशील कुमार शिंदे (पूर्व गृहमंत्री) — जो हुआ वह पत्रकारिता के इतिहास पर कलंक है। ऑफीसिलय सीक्रेट ऐक्ट देश की सुरक्षा के लिए बना महत्वपूर्ण कानून है। जब कभी भी देश की रक्षा के लिए कुछ करना होता है, मंत्रियों की राष्ट्रीय सुरक्षा की कमेटी और एनएसएस को जानकारी होती है। अर्णव गोस्वामी ने जो किया वह सिर्फ देश के लिए नहीं पूरी पत्रकारिता के लिए लांछन है। इतने साल में किसी पत्रकार या संस्था ने इस तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन नहीं किया। हमने दो-तीन युद्ध भी देखे। अलग-अलग पार्टी की सरकारें भी देखें, उसमें भी ऐसा नहीं हुआ।चैट से पता चलता है कि वे बालाकोट पर हुए हमले को लेकर खुशियाँ मना रहे थे जबकि देश चालीस जवानों के शोक में डूबा हुआ था। ये लोग बात कर रहे थे कि देश का भला हो जायेगा। एंटनी ने जो जाँच की माँग की है बिलकुल ठीक है। यह देश के लिए बहुत अहम है। संसद में तो ये मुद्दा उठायेंगे ही, लेकिन सरकार ने ऑफीसियल सीक्रेट एक्ट में जो करना है, वह नहीं कर रही है। तुरंत जाँच हो। गुनाह की सज़ा मिले।

गुलाम नबी आज़ाद (नेता विपक्ष, राज्यसभा) –  एक नेशनल चैनल के एडिटर इन चीफ और बार्क के सीईओ की बातचीत बताती है कि टीआरपी किस तरह से मैन्यूपलेट की गयी। ज्यादा टीआरपी मतलब, ज्यादा विज्ञापन, मतलब ज्यादा अमीर होना है। किसी मेरिट के दम पर नहीं बल्कि आपराधिक साज़िश करके ऐसा किया गया। सरकार की उस व्यक्ति के साथ साँठ-गाँठ ज़्यादा चिंताजनक है।  टीआरपी और बार्क सिस्टम का देश की सुरक्षा की कीमत पर चलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक चैनल की बात नहीं है। कुछ और चैनल भी गड़बड़ी कर रहे हैं। अगर गलती सिर्फ इस एडिटर  की है तो उसे सज़ा हो, अगर इसमें सरकार शामिल है तो और भी चिता की बात है।

सलमान खुर्शीद (पूर्व क़ानून मंत्री) – न्यायपालिका का क्या महत्व है, हम सब जानते हैं। हम संसद पर विश्वास रखते हैं तो दूसरी तरफ न्यायापालिका पर विश्वास रखते हैं। न्यायपालिका पर विश्वास अगर टूटा तो कुछ बचेगा नहीं। हम न्यायपालिका का आदर करते हैं। इसी संदर्भ में ये कहते हुए खेद है कि चैट में न्यायपालिका को लेकर की गयी टिप्पणी कष्टदायक है। न्यायापालिका पर दबाव डालने का प्रयास किया गया है जो अवैध है। क्या वे न्यायपालिका से गलत निर्णय लेने मं सफल हुए? इनकी कानून मंत्री के साथ बैठक हुई। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। बीजेपी की ओर से जजों को प्रभावित करने का प्रयास हो रहा है। क्या न्यायपालिका आँख मूँदे रहेगी, या कोई कार्रवाई करेगी? हम नहीं कहते कि जज प्रभावित हुए, पर ऐसा प्रयास करना भी अपराध है। न्याय के मंदिर में हम आस्था के साथ जाते हैं। इस आस्था को ठेस लगी है। ‘बाई द जज’— दूल्हा बिकता है, सुना  था, क्या जज भी बिकेंगे?

अरुण जेतली के बारे में जो कहा गया, वह तकलीफ़ेदह है। उनके साथ वैचारिक मतभेद थे पर वे सम्मानित व्यक्ति थे। बार में भी और संसद में भी। वे संसदीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। वे मृत्यु शैया पर थे, लोग दुखी थे कि वे इतनी जल्दी चले गये। लेकिन व्हाट्सऐप चैट में कहा जा रहा है कि उन्हें जीवित रखने की कोशिश क्यों हो रही है, जबकि पीएम को विदेश जाना है?

पवन खेड़ा (प्रवक्ता, कांग्रेस) –  कहते हैं कि वे 18 घंटे काम करते हैं। क्या काम करते हैं, पता चल गया। प्रधानमंत्री का नाम लेने की जुर्रत एक लाबीस्ट कैसे कर सकता है? अपने विरोधियों को ‘ठीक’ करने के लिए जिस आत्मविश्वास के साथ पीएम का नाम अर्णव लेता है, वह इतिहास में कभी नहीं हुआ। पीएम ने ऐसे व्यक्ति को कैसे अपने आफिस मे घुसने दे रहे थे?  ‘तुम मुझे फर्जी टीआरपी करने दो, मैं तुम्हें फर्जी ओपीनियन बना के दो’- क्या यही लेन-देन तय हुआ था?  किस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का काम क्या ट्राई पर दबाव डालना है। एक मीडिया हाउस को मदद करना क्या अमित शाह का बतौर पार्टी अध्यक्ष का काम था? क्या अर्णव गोस्वामी को सरकार कंट्रोल कर रही थी या अर्णव सरकार को कंट्रोल कर रहा? नरेंद्र मोदी ने खुद का ‘लुटियन गैंग’ तैयार किया है जिसका सीईओ है अर्णव गोस्वामी। क्या मीडिया आत्मविश्लेषण करेगा।

अर्णव चैट में कहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो गयी है पर लिखते हैं कि टीवी पर नहीं कह सकते हैं।सच नहीं बोल सकते तो लानत है ऐसी पत्रकारिता पर। हम सिर्फ जानते हैं कि एयरस्ट्राइक के बारे में पार्थो दासगुप्ता को पता था, पर कितने और को पता था, हम नहीं जानते। सेना से जुड़ी सूचना कोई इस तरह से कैसे दे सकता है। प्रधानमंत्री मोदी को इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

इस बीच व्हाट्सऐप चैट में पुलवामा अटैक के बाद खुश होने की बात पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने कड़ी आपत्ति जतायी है—

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