मज़दूर संगठनों के राष्ट्रव्यापी विरोध के समर्थन में किसान संगठन भी मैदान में

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की वर्किंग कमेटी ने किसानों के खिलाफ लाए गए तीनों अध्यादेशो को “किसानों की लूट, कारपोरेट को छूट” की नीति आगे बढ़ाना कहा है। कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता) अध्यादेश 2020, आवश्यक वस्तु (संषोधन) अध्यादेष 2020 तथा साथ में बिजली कानून (संशोधन) विधेयक 2020 आदि अध्यादेशों को लाकर कृषि संबंधी राज्यों के अधिकार छीन लिए है तथा कृषि मार्केट कानून में भी बदलाव किए हैं। इनसे जमाखोरी व कालाबाजारी बढ़ेगी, फसल के दाम घटेंगे, सरकारी एमएसपी समाप्त हो जाएगा, बाजार में खाने के दाम बढ़ेंगे, किसानों की कर्जदारी तथा जमीन से बेदखली व आत्महत्याएं बढ़ेंगी।

ए.आई.के.एस.सी.सी ने डीजल पेट्रोल के दामों में तेज वृद्धि की निन्दा करते हुए कहा कि यह सरकारी टैक्स बढ़ाने के कारण हुआ है। सरकार से मांग की कि टैक्स समाप्त कर ईधन के दाम तुरन्त घटाए जाएं।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 3 जुलाई को केंद्रीय श्रम संगठनों द्वारा किये जा रहे राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन तथा कोयला श्रमिकों की 2-3-4 जुलाई की हड़ताल का समर्थन किया है। ए.आई.के.एस.सी.सी ने श्रम कानूनों में किये जा रहे बदलाव, श्रमिकों के अधिकारों को निरस्त करने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की केंद्रीय श्रम संगठनों की मांग के समर्थन में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति यह मानती है कि केंद्र सरकार द्वारा लॉक डाउन का दुरुपयोग किसानों और मजदूरों के खिलाफ कानून बनाने और कारपोरेट पक्षधर नीतियों तेजी से लागू करने के लिए किया जा रहा है। इस लॉक डाउन में प्रवासी श्रमिक शहीदों तक की खोज खबर नहीं ली गयी है और केवल समाज को धर्म के आधार पर बाँटने और देश के संसाधन व बाजार बड़े विदेशी व घरेलू कारपोरेट को सौपने का काम किया जा रहा है।

ए.आई.के.एस.सी.सी ने कहा कि घोषणाएं करने के बावजूद केंद्र सरकार ने श्रमिकों को तालाबंदी के दौरान मजदूरी का भुगतान नहीं कराया, उनकी छंटनी नहीं रोकी, सभी मजूदरों को 10,000 रुपए नगद प्रतिमाह हस्तांतरित नहीं किया,  48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों व 68 लाख पेंशनरों का महंगाई भत्ता फ्रीज कर दिया, कई राज्यों में काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए।

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का विनिवेश और थोक निजीकरण कर रही है, भारतीय रेलवे, रक्षा, बंदरगाह, डाक, कोयला, एयर इंडिया, बैंक और बीमा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एफ डी आई को अनुमति देकर देश के प्राकृतिक संसाधनों की लूट को सुगम बनाने हेतु कोविड -19 लॉकडाउन का इस्तेमाल कर रही है।

प्रवासी श्रमिकों को ना तो मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया न ही गांव में मनरेगा में 500 रु.प्रतिदिन की दर पर कम से कम 200 दिन काम दिया।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति देश के सभी किसान संगठनों से स्थानीय स्तर पर 3 जुलाई को आयोजित राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध के कार्यक्रमों में शामिल होने की अपील करती है। वह कोल उद्योगों के निजीकरण पर रोक लगाने व ठेका मजदूरों के हाई पावर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर वेतन देने, राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता अनुसार आश्रितों को रोजगार देने को लेकर 2-3-4 जुलाई की हड़ताल का भी समर्थन करती है।


विज्ञप्ति पर आधारित

First Published on:
Exit mobile version