छत्तीसगढ़ में गौरक्षा के नाम पर दो मुस्लिमों की हत्या की ज़िम्मेदारी नायडू और नीतीश पर भी- IAMC

छत्तीसगढ़ में गौरक्षा के नाम पर दो मुस्लिमों की भीड़ द्वारा हत्या करने के मामले ने पूरी दुनिया में भारत की छवि ख़राब की है। समझा जा रहा है कि तीसरा कार्यकाल पाने वाले प्रधानमंत्री मोदी की बीजेपी पूर्ण  बहुमत से भले ही पीछे रह गयी हो लेकिन हिंदुत्ववादी चरमपंथी अपने मुस्लिम विरोधी नफ़रती अभियान से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

भारतीय अमेरिका के प्रसिद्ध एडवोकेसी संगठन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) ने छत्तीसगढ़ की इस घटना की कड़ी निंदा की है। आईएएमसी ने कहा है कि यह घटना बताती है कि भले ही मोदी भारत के आम चुनावों में बहुमत खो चुके हों, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और उसके हिंदू वर्चस्ववादी समर्थकों द्वारा की जा रही अल्पसंख्यक विरोधी हिंसा का माहौल एक खतरनाक वास्तविकता बनी हुई है जो मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के जीवन को खतरे में डाल रही है।

6 जून की रात 23 वर्षीय चांद मियां, 35 वर्षीय गुड्डु खान और 23 वर्षीय सद्दाम कुरेशी छत्तीसगढ़ से मवेशियों को ओडिशा ले जा रहे थे जब गोरक्षकों के नाम पर गुंडों ने हमला कर दिया था। पुलिस ने पुष्टि की है कि ये हमला पूर्व नियोजित था और कथित गौरक्षकों ने उनके ट्रक का पीछा किया था और उसे रोकने के लिए रास्ते में नुकीली कीलें लगा दी थीं।

मियाँ के रिश्तेदार और क़ुरैशी के दोस्त ने बताया कि उन दोनों को पीड़ितों ने सुबह 2-3 बजे के बीच फोन किया था। इस दौरान मियाँ ने कहा कि उन पर भीड़ ने हमला कर दिया है। क़ुरैशी कोमदद के लिए रोते और पानी के लिए भीख माँगते हुएसुना जा सकता था। 

मियां का शव 30 फुट ऊंचे पुल के नीचे पाया गया, साथ ही कुरेशी और खान भी गंभीर रूप से घायल हो गए। खान ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, जबकि कुरैशी का इलाज चल रहा है।  

आईएएमसी के अध्यक्ष मोहम्मद जवाद ने कहा, ”गौरक्षा के नाम पर ये मुसलमानों के खिलाफ आतंकवाद है। दस वर्षों से, मोदी और भाजपा ने आतंकवाद के इस रूप को सामान्य बना दिया है और यहां तक ​​कि इसका जश्न भी मनाया है, जिसके कारण पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों मुसलमानों की मौत हुई है। जब तकगौरक्षकोंको प्रोत्साहित करने वाले और इस हिंसा को अंजाम देने वाले दोनों को जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा, तब तक मॉब लिंचिंग में केवल लोगों की जान जाती रहेगी।

आईएएमसी के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने कहा, “अब भारत में एनडीए का शासन है और ऐसी घटनाओं की ज़िम्मेदारी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल (जेडीयू) सहित उसके सभी गठबंधन सहयोगियों पर है। हम सरकार में भागीताह श्री चंद्रबाबू नायडू और श्री नीतीश  कुमार से अधिक लोगों की जान जाने से पहले भीड़ के ज़रिए हत्या कराने की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत कदम सुधारात्मक कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं।

IAMC की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वह पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता है और भारत में मुस्लिम समुदाय के साथ एकजुटता से खड़ा है। वह भारत सरकार से आग्रह करता है कि आतंकवाद के इस जघन्य कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि न्याय मिले। 

बयान में कहा गया है कि भारत सरकार को हिंसक हमले करने वाले गौरक्षकों के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए, जिसमें राजनेताओं, हिंदू वर्चस्ववादी समूह के नेताओं और गौरक्षकों और मुस्लिम विरोधी हिंसा के अन्य रूपों का महिमामंडन करने वाले दूसरे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना शामिल है।  

IAMC ने भारत के विपक्षी दलों, नागरिक समाज संगठनों, मानवाधिकार समूहों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से गौरक्षकों को आतंकवाद के रूप में निंदा करने और यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया है कि भारत सरकार अपने मुस्लिम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। संगठन ने भारत सरकार से धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को तत्काल समाप्त करने और न्याय, समानता और मानवाधिकार के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

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