अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव की सदस्य इल्हान उमर ने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के बढ़ते उत्पीड़न की रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए निंदा प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि अमेरिका अपने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की सिफारिशों के आधार पर भारत विशेष चिंता वाला देश घोषित करे। उधर, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने इसे आपत्तिजनक बताया है।
लेकिन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) ने इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए सांसद इल्हान उमर की सराहना की, जो मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के लिए भारत की निंदा करता है।
सांसद रशीदा तालिब और जुआन वर्गास की ओर से सह-प्रायोजित इस प्रस्ताव में विदेश विभाग से अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की सिफारिशों पर कार्रवाई करने और अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता क़ानून के तहत भारत को विशेष चिंता वाला देश (CPC) घोषित करने का आग्रह किया गया है।
आयोग ने अपनी 2022 की वार्षिक रिपोर्ट में भारत को लगातार तीसरे साल, सुनियोजित ढंग से जारी धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के लिए विशेष चिंता वाले देश के रूप में नामित करने की सिफारिश की है।
सांसद इल्हाल उमर द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव USCIRF की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट और विदेश विभाग की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर 2021 की वार्षिक रिपोर्ट पर आधारित है। यह प्रस्ताव प्रतिनिधि सभा से “भारत में मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के साथ उन लोगों की निंदा करने की भी मांग करता है जो मुसलमानों, ईसाईयों, सिखों, दलितों, आदिवासियों और अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यक समूहों को निशाना बना रहे हैं।”
यह प्रस्ताव सदन से “भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ लगातार ख़राब होते जा रहे व्यवहार के बारे में गंभीर चिंता” जताने की मांग भी करता है।
IAMC के अध्यक्ष सैयद अफज़ल अली ने कहा, “यह देखना वास्तव में दुखद है कि हम जिस देश को प्यार और सम्मान करते हैं, वह अपने सबसे कमज़ोर नागरिकों को अपराधी बताते हुए उनके साथ भेदभाव कर रहा है। वह कट्टरता, असहिष्णुता और तानाशाही के रास्ते पर चल रहा है।”
अफज़ल अली ने आगे कहा, “हम इस प्रस्ताव को पेश करने और अन्य सांसदों से इसका समर्थन करने का आग्रह करने के लिए सांसद इल्हान उमर के आभारी हैं ताकि भारत में ईसाईयों और मुसलमानों सहित सभी के मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के सम्मान और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।”
IAMC ने प्रस्ताव के सह-प्रायोजन और भारत सरकार को एक स्पष्ट संदेश भेजने के लिए सांसद जिम मैकगोवर्न, रशीदा तालिब और जुआन वर्गास की भी सराहना की कि भारत के 20 करोड़ मुसलमानों पर अत्याचार पर अमेरिका मूक दर्शक नहीं बना रहेगा।