वरिष्ठ डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर आनंद पटवर्धन की फिल्म ‘राम के नाम’ के बारे में ‘टाइम्स नॉऊ’ चैनल ने दुष्प्रचार फैलाना शुरू किया है. टाइम्स नॉऊ के अनुसार ‘राम के नाम’ एक प्रतिबंधित फिल्म है जिसका प्रदर्शन जेएनयू में किया गया. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन से रोज़ाना हुई सुनवाई एक दिन पहले 16 अक्टूबर को पूरी हुई और शीर्ष अदालत ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया. ऐसे समय में ‘टाइम्स नॉऊ’ द्वारा इस तरह से भ्रम फैलाकर वातावरण को ख़राब करने की कोशिश की जा रही है.
टाइम्स नॉऊ के द्वारा ट्वीट फूटेज में स्क्रीन पर लिखा है – #Breaking | Banned documentary movie ‘Ram Ke Naam’ screened in JNU. मने जेएनयू में प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ का स्क्रीनिंग हुई. किन्तु चैनल ने यह नहीं बताया कि इसे कब और किसने बैन किया था ? इसी में चैनल का रिपोर्टर मोहित शर्मा बता रहा है कि इस डॉक्यूमेंट्री से बीजेपी और आरएसएस की छवि ख़राब हुई और विपक्षी दलों को लाभ मिला.
#Breaking | Banned documentary movie ‘Ram Ke Naam’ screened in JNU.
TIMES NOW’s Mohit Sharma with details. Listen in. pic.twitter.com/GqCeTejrvm
— TIMES NOW (@TimesNow) October 17, 2019
गौरतलब है कि राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद इसके बाद संभावित तनाव के मद्देनज़र न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथाँरिटी (NBSA) ने एक एडवायज़री जारी करते हुए मीडिया को दिशानिर्देश दिया है कि वह अदालत के फैसले पर कोई अटकलबाज़ी न लगाये, बाबरी विध्वंस के फुटेज न चलाए, किसी भी तरह के उत्सव या जश्न का प्रसारण न करे और और चैनलों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी अतिवादी विचार वे अपनी बहसों में प्रसारित न होने दें. टाइम्स नॉऊ ने पत्रकारिता के मापदंडों को तोड़ते हुए यह काम किया है.
टाइम्स नॉऊ की इस हरकत पर प्रतिक्रिया देते हुए आनंद पटवर्धन ने सोशल मीडिया पर लिखा है:
पत्रकार दीपांकर पटेल ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है –
टाइम्स नॉऊ को ना शर्म है ना किसी का खौफ है.
झूठ फैला कर “राम के नाम” पर TRP ले लेनी है.
टाइम्स नाऊ बड़े बड़े बोल्ड अक्षरों में आप को ऐसी डॉक्यूमेंन्ट्री फिल्म के बैन होने की झूठी ख़बर दे रहा है
जिसे 1992 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.
जिसे 1996 में दूरदर्शन ने 9 बजे के प्राइम टाइम स्लॉट पर दिखाया है.
टाइम्स नाऊ को कहां से पता चला कि ये फिल्म बैन है?
जबसे ये डॉक्यूमेंट्री बनी है विवादों ने इसका साथ नहीं छोड़ा है लेकिन ये भी सच है कि इसे अतत: बैन नहीं किया जा सका.
इसकी स्क्रीनिंग और प्रसारण पर खूब विवाद हुआ, तोड़फोड़ हुई स्क्रीनिंग रोकी गई, थाना-पुलिस कचहरी सब को शामिल कर लिया गया लेकिन फिर भी ये बैन नहीं की जा सकी.
हां 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले इसे यू ट्यूब ने जरूर 18+ की कटेगरी में डाल दिया है लेकिन CFBC से इसे “U” (यूनीवर्सल) का सर्टिफिकेट दिया था.
अब टाइम्स नॉऊ के “गूगल पत्रकार” इसे बैन डॉक्यूमेंट्री बता रहे हैं. ठीक से गूगल करना चाहिए ना.
16 अक्टूबर को JNU में काफी हो हल्ले के बाद इसकी स्क्रीनिंग तो हो गई लेकिन JNU को देशद्रोही कहने वालों को एक मौका और मिल गया. अब फिल्म को भी बैन बता रहे हैं.
अब मैं तो ये भी नहीं कह सकता कि NBSA में चैनल के खिलाफ फेक न्यूज फैलाने की कम्प्लेन डालिए. अयोध्या वर्डिक्ट पर NBSA ने क्या गाइडलाइन जारी की है मालूम है ना?
NBSA ने कहा है कि ” न्यूज चैनल मस्जिद विध्वंस फुटेज का उपयोग न करें।”
आप NBSA से क्या कहेंगे? ये कि Times Now फेक न्यूज फैला रहा है?
जाईये करके देख लीजिए…