पहला पन्ना: दिल्ली के विवादित पुलिस चीफ़ पद-ग्रहण की फ़ोटो–ख़बर कुछ भी नहीं!

दिल्ली के नए पुलिस प्रमुख ने कल कार्यभार संभाला पर दिल्ली के अखबारों में आज पहले पन्ने पर कोई खबर या तस्वीर नहीं है। आप जानते हैं कि यह नियुक्ति नियमों और परंपराओं से हटकर तो है ही इस महत्वपूर्ण पद पर बैठाए गए आईपीएस अधिकारी विवादास्पद और सरकार के खास रहे हैं। उन्हें सेवा विस्तार का इनाम दिया गया है और यह सीबीआई के प्रमुख के रूप में नहीं दिया जा सका तो दिल्ली पुलिस के प्रमुख के रूप में दिया गया है। इन कारणों से और वैसे भी, नए पुलिस प्रमुख के कार्यकाल की शुरुआत पर ना खबर ना फोटो – जरा अटपटा है। 

खास बात यह है कि हिन्दुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया दोनों में आज अधपन्ना भी है और उसपर पर्याप्त जगह है। फिर भी हिन्दुस्तान टाइम्स में सिंगल कॉलम की खबर भर है, अस्थाना ने पदभार संभाला, आम आदमी पार्टी ने कहा कि वह नियुक्ति पर चर्चा करेगी। पार्टी के विधायकों ने कहा है कि वे इस नियुक्ति की चर्चा गुरुवार को विधानसभा में करेंगे। दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पदभार संभालने की खबर दूसरे अखबारों में नहीं है लेकिन कर्नाटक में मुख्यमंत्री बोम्मई ने पदभार संभाला इसकी तस्वीर हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर है। 

इसके कैप्शन में नहीं बताया गया है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा की निजी पसंद हैं, भिन्न पार्टियों में मित्रों के बीच संकट मोचक हैं और भाजपा के आदर्शों में उनकी कोई जड़ नहीं है। समाजवादी झुकाव वाले राजनेता हैं और पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई के पुत्र हैं। इंडियन एक्सप्रेस की यह खबर इंडियन एक्सप्रेस में भी पहले पन्ने पर नहीं है। दूसरी ओर, इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर ना नए पुलिस प्रमुख के पदभार संभालने की खबर है और ना नए मुख्यमंत्री के। कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा से इस्तीफा लेकर पूर्व मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री बनाने से संबंधित खबरें उतनी प्रमुखता से नहीं छपी हैं जितनी पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबर को महत्व दिया गया। 

आप जानते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष का पद पार्टी का निजी मामला है पर मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार का चुनाव भले सत्तारूढ़ पार्टी काम हो पर नियुक्ति और पद सरकारी है। वेतन मिलता है। दोनों नियुक्तियों में जमीन आसमान का अंतर है लेकिन पुराने अखबार निकाल कर देख लीजिए सिद्धू के मामले में अखबारों की सक्रियता कैसी रही है और यहां सरकार बदलने अथवा पुलिस प्रमुख की नियुक्ति अचानक किए जाने पर कोई खबर नहीं है। 

ऐसा नहीं है कि खबर है नहीं। खबर है, बाकायदा है लेकिन इसे महत्व नहीं दिया गया है।

उदाहरण के लिए, द हिन्दू में दूसरे पन्ने पर चार कॉलम का शीर्षक है, “अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है”। कांग्रेस ने उन विशेष परिस्थितयों पर सवाल उठाया है जिनकी वजह से रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले पुलिस प्रमुख का चुनावकिया गया। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पूछा है कि इसमें कोई लेन-देन है क्या? कहने का मतलब यह है कि आज की दो बड़ी खबरें पहले पन्ने पर नहीं हैं। क्योंकि इनके जरिए सरकार से और सरकारी पार्टी से सवाल पूछे जा सकते हैं। अखबारों को सवाल नहीं पूछना हो तो नहीं पूछें, तथ्य बताएं, जनता खुद पूछ लेगी या अपने हिसाब से जो ठीक लगेगा करेगी। पर मीडिया है कि मानता नहीं। 

इन दो खबरों के अलावा, आज द हिन्दू और टाइम्स ऑफ इंडिया में एक खबर है – संसद की स्थायी समिति की बैठक में सरकारी अधिकारी नहीं आए। कांग्रेस नेता शशि थरूर के नेतृत्व में सूचना तकनालाजी पर स्थायी समिति की बैठक में नागरिकों की डाटा सुरक्षा और निजतापर बात होनी थी लेकिन गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनालाजी मंत्रालय   और दूरसंचार विभाग के अधिकारी नहीं आए। इसका सबने भिन्न कारण बताया लेकिन इस कारण बैठक नहीं हो पाई। होती तो भारत में पेगासुस के जरिए कथित साइबर हमले पर चर्चा हो पाती। दूसरी ओर, भाजपा नेताओं ने उपस्थिति पंजिका पर दस्तखत करने से मना करके वाक आउट कर दिया। इस तरह, कोरम पूरा नहीं होने के कारण बैठक स्थगित हो गई। 

यह पेगासुस पर चर्चा के मामले में सरकारी पार्टी और सरकार के अधिकारियों का रवैया माना जा सकता है और जितना महत्वपूर्ण यह रवैया है उससे कम इसे सिंगल कॉलम में या पहले पन्ने पर नहीं छापना भी है। पेगासस मालवेयर से जासूसी के मामले में सरकार और अखबारों में खबर छपने की  स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगता है कि कांग्रेस और वामपंथी सांसदों ने कल संसद में विरोध किया और एजंडा तथा कागज फाड़कर फेंके तो खबर छपी हैभाजपा ने कहा लोकतंत्र के लिए शर्म (इंडियन एक्सप्रेस), लोकसभा अध्यक्ष 13 कांग्रेस और टीएमसी सांसदों को निलंबित कर सकते हैं (टाइम्स ऑफ इंडिया)। हिन्दुस्तान टाइम्स में सांसदों के यह खबर टॉप पर सिंगल कॉलम में है। 

ऐसे में आप समझ सकते हैं कि मुख्य राजनीतिक और सरकार का रुख बताने वाली खबरें-छोटी हैं या नहीं हैं। दूसरी ओर, हिन्दुस्तान टाइम्स में सिंगल कॉलम की खबर है, ममता ने सोनिया, केजरीवाल से मुलाकात की और 2024 के चुनाव के लिए एकता पर जोर दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया में सिंगल कॉलम की छोटी सी खबर का शीर्षक है, 2024 का ख्याल रखत हुए दीदी ने सोनिया से मुलाकात की। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर लीड है, ममता ने पार्टियों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट किया। 

द टेलीग्राफ में इसका शीर्षक है, दीदी का मिशन उम्मीद 24। दूसरी खबर का शीर्षक है, पेगासस ने 14 पार्टियों को एकीकृत किया। द टेलीग्राफ के पहले पन्ने की तीसरी खबर है, देश भर की कैथलिक संस्थाओं  ने बुधवार को राष्ट्रीय न्याय दिवस के रूप में मनाकर फादर स्टैन स्वामी को श्रद्धांजलि दी।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

First Published on:
Exit mobile version