सभी अखबारों की एक ही चिन्ता कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन होगा

अडानी मामले में सेबी ने कल जो कहा वह इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर नहीं है 

 

कर्नाटक में भाजपा की भारी हार के बाद मीडिया की सबसे बड़ी चिन्ता एक ही है और वह है कर्नाटक का किंग कौन (नवोदय टाइम्स)। यह चिन्ता कर्नाटक में बेसब्री, दिल्ली पर टकटकी के रूप में भी व्यक्त हो रही है और हिन्दुस्तान ने इसे दुविधा के रूप में पेश करते हुए बताया है कि, मुख्यमंत्री तय करने के लिए कांग्रेस में मंथन जारी है। अंग्रेजी अखबारों में अटकल भी है और हिन्दुस्तान टाइम्स ने बताया है, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया कामयाबी के करीब हैं लेकिन डीके शिवकुमार अंतिम कोशिश कर रहे हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स ने खबर में लिखा है कि 76 साल के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया दिल्ली पहुंच गए हैं। इसलिए एक्शन दिल्ली में है जबकि द हिन्दू का शीर्षक है, शिवकुमार ने दिल्ली दौरा टाला, सस्पेंस जारी। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार सिद्धरमैया ने कहा है कि उनके साथ विधायकों का समर्थन है पर डीके शिवकुमार समर्थन नहीं कर रहे हैं। 

इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है, मुख्यमंत्री का निर्णय आज होने की संभावना है। सिद्धरमैया आगे हैं पर शिवकुमार अड़ गए हैं। अखबार का फ्लैग शीर्षक है, बड़ी जीत के बाद कांग्रेस में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद को लेकर कांग्रेस दुविधा में। इंडियन एक्सप्रेस ने लीड के साथ एक और खबर छापी है जिसका शीर्षक है, सिद्धरमैया मजबूत स्थिति में, पूरे राज्य में आधार है, शिवकुमार जोरदार दबाव के साथ मुकाबला कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने लीड का इंट्रो शिवकुमार के कहे को बनाया है। यह हिन्दी में कुछ इस प्रकार होगा, मेरी शक्ति 135 (विधायकों की) है …. मैं समझता हूं कि हिम्मत वाला एक व्यक्ति बहुमत के बराबर होता है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह भी बताया है कि डीके शिवकुमार ने कहा है कि वे सत्ता की साझेदारी से सहमत नहीं होंगे। अन्य विवरण का शीर्षक है, डीके शिवकुमार ने दिल्ली जाना टाला। इसमें बताया गया है कि कल (15 मई को) शिवकुमार का जन्म दिन था और वे चार बजे दिल्ली जाने वाले थे पर 7.30 बजे दिल्ली जाना रद्द कर दिया। 

इंडियन एक्सप्रेस में आज कांग्रेस से संबंधित एक और खबर प्रमुखता से है। फोटो के साथ पांच कॉलम में ताने गए इस खबर का शीर्षक है, इस बीच राजस्थान में पायलट ने शक्ति प्रदर्शन किया। इस खबर का उपशीर्षक है, दो मंत्री, 13 विधायक उनके साथ हैं। पायलट ने गहलौत को रिश्वत मामले में कार्रवाई के लिए महीने के अंत तक का समय दिया और नए आंदोलन की चेतावनी दी। इसके साथ के फोटो का कैप्शन है, कांग्रेस नेता सचिन पायलट एक रैली में जो पांच दिन की उनकी जन संघर्ष यात्रा के अंत के रूप में हुई। यह खबर किसी अखबार में पहले पन्ने पर इतनी बड़ी तो नहीं दिखी। छोटी-मोटी रह गई हो तो नहीं कह सकता। द हिन्दू में यह खबर सिंगल कॉलम है और अडानी पर सेबी की घोषणा चार कॉलम में है जो इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर नहीं है।    

द टेलीग्राफ में कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन होगा, खबर लीड नहीं है। यहां अडानी मामले की जांच पर सेबी के कल के एलान की खबर लीड है और संसद को गलत जानकारी देने पर ताज्जुब आदि जैसी खबरें हैं। इनके साथ यह बताया गया है कि जन्मदिन की व्यस्तता और दूसरी परेशानियों (पेट की खराबी) से जूझते हुए, कार्य प्रगति पर है। इसके साथ एक तस्वीर है और उसका कैप्शन है, पीसी सिद्धरमैया और रणदीप सुरजेवाला की उपस्थिति में शिवकुमार ने सोमवार को बैंगलोर में अपना जन्म दिन केक काटा। खबर में बताया गया है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस मामले में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन कर रहा है। अखबार ने लिखा है कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने सोमवार शाम मल्लिकार्जुन खडगे को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 

इसमें स्पष्ट संकेत है कि बहुमत का समर्थन पीसी सिद्धरमैया के साथ है। रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि नाम की घोषणा से पहले आज विस्तृत सलाह मश्विरा होगी और इनमें सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी भी शामिल होंगे। इसमें बताया गया है कि सिद्धरमैया दिल्ली गए जबकि शिवकुमार पेट की तकलीफ का जिक्र करते हुए राजधानी की अपनी यात्रा टाल दी। द हिन्दू ने कल (15 मई 2023) लीड के शीर्षक से बताया था कि नई कांग्रेस विधायक दल कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री का चुनाव करने के लिए खड़गे को अधिकृत किया है। ऐसी भाषा अब नहीं दिखती और अंग्रेजी के शीर्षक का यह अनुवाद शत प्रतिशत सही है या नहीं उसपर विवाद हो सकता है।  

द हिन्दू का आज का उपशीर्षक है, सिद्धरमैया ने बहुसंख्यक विधायकों के समर्थन का दावा किया। कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने निर्वाचित विधायकों की राय पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को पहुंचाई और मुख्यमंत्री के चुनाव से संबंधित मामला अब दिल्ली स्थानांतरित हो गया है। मुख्यमंत्री का चयन लोकतांत्रिक तरीके से हो तो समय लगता ही है लेकिन अखबारों की चिन्ता भी जायज है। अगर मुख्यमंत्री में नहीं उलझते तो आज अडानी के अलावा कोई खबर भी नहीं है और उसे लीड बनाना नहीं था तो बेचारे क्या करते।  

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

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