राज्यसभा टीवी में लगता है अच्छे दिन उतर चुके हैं। लंबे समय से यहां भर्तियों की कवायद चल रही है। महीनों पहले भर्तियो के लिए विज्ञापन निकला था। अब तक यह सार्वजनिक नहीं किया जा सका है कि किसे किन पदों पर रखा गया है।
जब इस बाबत जानकारी लेने के लिए एक आरटीआइ लगायी गयी तो जवाब ऐसा आया कि सुनकर आपको इस सरकारी चैनल के भीतर क्या कुछ पक रहा होगा, उसका अंदाजा लग जाएगा।
राज्यसभा टीवी में कई पदों के लिए विज्ञापन निकले थे। केवल दो पदों पर इंटरव्यू अब तक हुए हैं- एक्जिक्यूटिव एंडिटर और एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर। इन पदों पर जिन लोगों ने आवेदन किया था, उनमें से कई तो बुलाया ही नहीं गया। दूसरे, किन लोगों के इंटरव्यू हुए और किन्हें रखा गया, इसकी सूचना भी बाहर नहीं आ सकी।
प्रमोद कुमार बिहारी ने इस संबंध में सूचना के अधिकार कानून के तहत आवेदन लगाते हुए पूछा था कि चयनित लोगों की योग्यता क्या है और खारिज किए गए लोगों का कारण क्या है। इस जानकारी को देने में राज्सभा सचिवालय हीलाहवाली कर रहा है।
जो जवाब आया है उसे देखिए:
‘’22 अक्टूबर 2018 को भेजे गए और 23 अक्टूबर 2018 को प्राप्त आपके आवेदन में जो जानकारी मांगी गई है वह अब तक सचिवालय के संबद्ध प्रखण्ड/शाखा द्वारा भेजा नहीं गया है। जानकारी मिलते ही आपको मुहैया करा दी जाएगी।‘’
गौरतलब है कि आवेदन आज से दो माह पहले किया गया था। इसका जवाब ठीक एक माह पहले यानी आवेदन के महीने भर बाद 20 नवंबर 2018 को आवेदनकर्ता को प्राप्त हुआ। सवाल उठता है कि किस पद पर किसे रखा और किसे छांटा गया और क्यों, इसकी जानकारी जुटाने में राज्यसभा टीवी को महीने भर का वक्त भी क्यों कम पड़ गया।
माना जा रहा है कि महीनों पहले निकले विज्ञापनों की भर्ती प्रक्रिया अब तक पूरी न हो पाने के जिम्मेदार राज्यसभा टीवी का चार्ज संभाल रहे सूचना सेवा के अधिकारी ए ए राव हैं। वैसे भी किसी भी गड़बड़ी की तकनीकी जिम्मेदारी व जवाबदेही राव की ही बनती है। राव को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का खासमखास माना जाता है।
राज्यसभा टीवी अपने शुरुआती वर्षों में आदर्श टीवी माध्यम की भूमिका निभाता रहा है। सीईओ गुरदीप सप्पल के नेतृत्व में इसके कुछ कार्यक्रमों ने तो यादगार काम किया है। सप्पल और उनकी टीम के निकाले जाने के बाद जो नया निज़ाम यहां आया उसने राज्यसभा टीवी के स्तर को इतना गिरा दिया कि अब दर्शकों में ही नहीं पत्रकारों के बीच भी इसकी चर्चा नहीं होती।