ऑस्ट्रेलिया की सरकार द्वारा पारित गोपनीयता कानून व् अन्य जनविरोधी कानूनों के विरोध में सोमवार को ऑस्ट्रेलिया के अख़बारों ने अपना पहला पेज काला छोड़ दिया. दरअसल ऑस्ट्रेलिया की सरकार पर आरोप है कि वहां पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है. वहां की सरकार के उस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई है, जिसके तहत सरकार पत्रकार, सूत्र और व्हिसलब्लोअर्स को अरेस्ट कर रही है.
The front page of every daily newspaper has been redacted in a united campaign for the #RightToKnow. Find out more: https://t.co/tv5cIcedle #pressfreedom pic.twitter.com/bIxzlP6Pq5
— MEAA (@withMEAA) October 20, 2019
एक रिपोर्ट के अनुसार #righttoknow अभियान के तहत अखबारों ने यह कदम उठाया. जिन अखबारों के पन्ने काले किए गए हैं, उनमें द आस्ट्रेलियन, द संडे हेराल्ड, फाइनेंसियल रिव्यु , द डेली टेलीग्राफ प्रमुख है. ट्विटर #righttoknow और #pressfredom के साथ पत्रकारों ने तस्वीरें ट्वीट की है.
When you miss out on the group photo but still want to participate lol #PressFreedom #righttoknow pic.twitter.com/P2qeLRW0Gc
— Madeline Hayman-Reber (@MadelineHayman) October 21, 2019
ऑस्ट्रेलियाई संसद ने पिछले 20 वर्षों में गोपनीयता और जासूसी से संबंधित 60 से अधिक कानून पारित किए हैं. यह वर्तमान में व्हिसलब्लोअर कानूनों की समीक्षा कर रहा है. पिछले दो वर्षों में 22 कानून पारित किए गए हैं. अखबारों ने पहले पन्ने पर लिखा है कि ‘जब सरकार सच दूर रखती हो, वे क्या कवर करेंगे?’
Australian newspapers black out front pages to fight back against secrecy laws https://t.co/k7MD0Vd8Sj
— Media Guardian (@mediaguardian) October 20, 2019
इससे पहले जून में फेडरल पुलिस ने नेशनल ब्रॉडकास्टर ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (ABC) में छापेमारी की थी और न्यूजकॉर्प ऑस्ट्रेलिया की पत्रकार एन्निका स्मेथर्स्ट के घर में भारी तोड़-फोड़ की गई थी. यह उन दो खबरों के लिए की गई कार्रवाई थी जो सरकार के लिए शर्मिंदगी लेकर आईं. मीडिया संगठनों का कहना है कि व्हिसलब्लोअर्स ने एक सूचना दी थी, इसी को छापे जाने की वजह से मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया गया.
You have a right to know what the governments you elect are doing in your name. But in Australia, people who speak out are penalised and journalism is being criminalised. It needs to change. #RightToKnow #pressfreedom #MEAAmedia https://t.co/tv5cIcedle pic.twitter.com/eZtvKe2Pbx
— MEAA (@withMEAA) October 20, 2019
छापेमारी के बाद तीन पत्रकारों पर आपराधिक मुकदमे हुए हैं. स्मेथर्स्ट की खबर थी कि सरकार ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों पर जासूसी की योजना बना रही है. वहीं, ABC ने अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलिया की स्पेशल फोर्सेज के कथित युद्ध अपराधों का खुलासा किया था.
"The time has come to wind back these excessive laws and to decriminalise public interest journalism and whistleblowing." Why we are part of the #RightToKnow campaign: https://t.co/QbqzRvvSRZ #pressfreedom #MEAAmedia pic.twitter.com/owI4N1Npum
— MEAA (@withMEAA) October 20, 2019
न्यूज कॉर्प ऑस्ट्रेलिया के कार्यकारी चेयरमैन माइकल मिलर ने ब्लैक आउट न्यूज़ पेपर की तस्वीर ट्वीट की. इस ट्वीट में द ऑस्ट्रेलियन और द डेली टेलीग्राफ अखबार की भी कॉपी है. उन्होंने आम लोगों से अपील की कि वह सरकार से पूछें कि “वे मुझसे क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं?”
https://twitter.com/michaelmillerau/status/1186043213011795968
ऑस्ट्रेलिया में फ्री स्पीच को लेकर संविधान में कोई व्यवस्था नहीं है. 2018 में सरकार ने व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा के लिए एक प्रावधान किया था. हालांकि मीडिया संस्थानों का कहना है कि प्रेस की स्वतंत्रता अभी तक बेड़ियों में है. वहां के मानहानि कानून बेहद जटिल हैं और दुनिया में सबसे कड़े माने जाते हैं.
All of Australia’s newspapers look like this today, so that they won’t look like this tomorrow. #PressFreedom #righttoknow pic.twitter.com/865kQLSGp4
— Andy Park (@andy_park) October 20, 2019