संजय कुमार सिंह
रिटायर नौकरशाहों के संगठन कांस्टीट्यूशनल कंडक्ट ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को पत्र लिखकर शिकायत की है कि प्रधानमंत्री के मामले में चुनाव आयोग कमजोर है। क्या यह खबर आपने पढ़ी। क्या यह छोटी खबर है जो अखबारों में न छपे या ऐसे छपे कि दिखे ही नहीं। जो भी हो, मैं आपको खबर बता रहा हूं। यह खबर आज दि टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है पर पर्याप्त विस्तार से है और इसका बाकी हिस्सा अंदर के पन्ने पर भी है। इसमें प्रधानंत्री पर फिल्म, ऑपरेशन शक्ति की घोषणा, चुनाव आयोग की कार्रवाई नमो चैनल आदि की चर्चा है।
आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आईएफएस अधिकारियों के इस संगठन ने 26 मार्च को मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा को एक चिट्ठी लिखी थी और इसकी प्रतिलिपि दोनों अन्य सदस्यों को संबोधित है। इसमें 47 पूर्व सिविल सेवा अधिकारियों के दस्तखत हैं और इनलोगों ने नरेन्द्र मोदी पर बन रही फिल्म पर सवाल उठाए थे। पत्र में इन लोगों ने लिखा था कि आदर्श आचार संहिता के प्रति संभावित खतरे की ओर चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित करना चाह रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से इसमें कहा गया था कि पहले यह फिल्म 12 अप्रैल 2019 को रिलीज होने वाली थी। अब इसे पहले ही रिलीज किया जा रहा है (अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है)।
राष्ट्रपति को संबोधित पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने चुनाव आयोग के कमजोर आचरण पर गंभीर चिन्ता जताई है और कहा है कि ऐसा एक बार नहीं कई बार हो चुका है और यह 17वीं लोकसभा के लिए पड़ने वाले पहले वोट से भी काफी पहले हो चुका है। पत्र में कहा गया है कि आयोग के ऐसे कमजोर आचरण के कारण इस संस्था की साख बेहद कमजोर हो गई है। आयोग की निष्पक्षता को लेकर लोगों के मन में अगर कोई शंका हो जाए तो इसका हमारे लोकतंत्र के भविष्य पर बहुत गंभीर असर होगा।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने कहा है कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, निष्पक्षता, औचित्य और कार्यकुशलता से समझौता किया गया लगता है और इस तरह चुनाव प्रक्रिया की प्रामाणिकता खतरे में है जो भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद है। पत्र में सत्तारूढ़ दल द्वारा आदर्श आचार संहिता के खुलेआम उल्लंघन का जिक्र किया गया है और मिशन शक्ति की घोषणा का भी जिक्र है। इसके समय से लेकर इस घोषणा से जुड़े धूम-धड़ाके का जिक्र करते हुए कहा गया है कि नैतिकता का तकाजा था कि इसे डीआरडीओ के अधिकारियों पर छोड़ दिया जाता क्योंकि आचार संहिता लागू हो चुकी थी।
पत्र में कहा गया है कि देश में सुरक्षा की ऐसी कोई मुश्किल स्थिति नहीं थी कि खुद चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री यह सार्वजनिक घोषणा करते। और ऐसा भी नहीं है कि आचार संहिता उसी दिन लागू हुई हो – 10 दिन पहले से लागू थी। अधिकारियों ने कहा है कि चुनाव आयोग के इस निष्कर्ष में कोई दम नहीं है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं था क्योंकि इसे सरकारी प्रसारण सेवा पर नहीं किया गया। हमारी राय में यह चुनाव आयोग से जिस निष्पक्षता की अपेक्षा है उस पैमाने पर खरा नहीं उतरता है।
पत्र में डिजिटल प्लैटफॉर्म पर चल रहे 10 भाग वाली वेब श्रृंखला, “मोदी : अ कॉमन मैन्स जर्नी” पर ईसीआई की निष्क्रयता पर भी सवाल उठाया है। नमो टीवी चैनल के बारे में पत्र में कहा गया है कि चुनाव आयोग उसी तरह आलसी बना हुआ है जो किसी मंजूरी के बिना 31 मार्च 2019 को चालू हो गया। और नरेन्द्र मोदी की छवि बनाने में लगा हुआ है। रिटायर अधिकारियों ने कुछ चुनाव अधिकारियों के स्थानांतरण की भी चर्चा की है और कहा है कि दूसरी जगहों पर ऐसी कार्रवाई नहीं हुई। तमिलनाडु पुलिस के डीजीपी का इसमें खास उल्लेख है।
पत्र पर दस्तखत करने वालों में योजना आयोग के पूर्व सचिव एनसी सक्सेना, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अरधेन्दु सेन, पूर्व कोयला सचिव आालोक पर्ती, गुजरात के पूर्व डीजीपी पीजीते नंपूथिरी और दूरसंचार निय़ामक आयोग के पूर्व चेयरमैन राजीव खुल्लर शामिल हैं। इस बीच आपको बता दूं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमनाथ के करीबी लोगों के यहां मारे गए आयकर छापे के मद्देनजर कल चर्चित चुनाव आयोग के पत्र के जवाब में राजस्व सचिव ने लिखा है जिसे द टेलीग्राफ ने पीटीआई के हवाले से छापा है। अंग्रेजी में लिखे इस पत्र का अनुवाद इस प्रकार होगा।
“हम समझते हैं कि न्यूट्रल, निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण जैसे शब्दों का मतलब है कि जब किसी के खिलाफ हमें जैसी सूचना मिले वैसी कार्रवाई करनी चाहिए। इसमें संबंधित व्यक्ति की राजनीतिक प्रतिबद्धता का कोई मतलब नहीं है। विभाग ऐसा ही करता है और ऐसा ही करता रहेगा।” इसका राजनीतिक मतलब बताने की जरूरत नहीं है और ऐसा नहीं है राजस्व सचिव नहीं समझते होंगे। फिर भी लिखा है तो इसका मतलब समझिए। और क्या यह आपके अखबार में है। यही नहीं, कमलनाथ के यहां छापे की खबर खूब चर्चा में रही पर कल हैदराबाद में तमिलनाडु भाजपा के 10 करोड़ रुपए पकड़े जाने की खबर मिली क्या?
उधर, तेलंगाना भाजपा के सात लोग आठ करोड़ रुपए के साथ पकड़े गए हैं। पुलिस ने भाजपा की तेलंगाना इकाई से जुड़ी आठ करोड़ रुपये की नकदी सोमवार को जब्त की और आरोप लगाया कि यह राशि चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों एवं उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना बैंक से निकाली गई। हालांकि, भाजपा ने आरोप से इनकार किया और आरोप लगाया कि यह स्पष्ट रूप से जरूरत से ज्यादा की गई कार्रवाई और सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का राजनीतिक षड्यंत्र है। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने कहा, “हम इस व्यवहार की कड़ी निंदा करते हैं। भाजपा ने कोई कानून नहीं तोड़ा और चुनाव आयोग के किसी दिशा-निर्देश का उल्लंघन नहीं किया।’’
@BJP4Telangana has broken no law nor violated even the MCC of Election Commission of India. This 8 crore cash episode is a non-issue.@BJP4India @drlaxmanbjp @kishanreddybjp @AmitShah @narendramodi @PMuralidharRao @blsanthosh @JPNadda @bjparvind @ShahnawazBJP pic.twitter.com/iPgtEbL0xC
— K.Krishna Sagar Rao (@BJPKrishnasagar) April 8, 2019
यह खबर के साथ याद कीजिए कि कमलनाथ के यहां छापे की खबर कब और कैसे मिली थी। अगर आप समझते हैं कि कांग्रेस ने यही बात नहीं कही होगी जो यहां भाजपा वाले कह रहे हैं तो मुझे कुछ नहीं कहना हालांकि, तब भी मीडिया को लिखना चाहिए था कि कांग्रेस ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पर खबर कैसे छपी थी? कांग्रेस नेता के करीबी के यहां छापे पर खबर लीड और पुलिस भाजपा के अकाउंटैंट को नकदी के साथ पकड़े तो खबर गोल। इस मामले में शुरुआत दो करोड़ रुपए पकड़ने से हुई। पुलिस को इनसे मिली सूचना से बाकी पैसे पकड़े गए। कल मैंने लिखा था कि छापे की कार्रवाई में सारा खेल खबर से बदनामी का होता है और आज इस मामले से इसकी पुष्टि होती है।