अब फे़सबुक पर ‘लाइक’ भी न कर पाएँगे हिंदुस्तान के पत्रकार !

 

मीडिया विजिल ब्यूरो

 

‘तरक्की को चाहिए नया नज़रिया’ का ऐलान करते-करते हिंदुस्तान अख़बार ने सोशल मीडिया पर सक्रिय अपने पत्रकारों पर नज़र टेढ़ी कर दी है। इस संबंध में एक दिशानिर्देश जारी करके सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर जुड़े मसलों पर फ़ेसबुक लाइक या व्हाट्सऐप शेयर को अनुशासनहीनता के दायरे में ला दिया गया है।

अख़बार के कार्यकारी संपादक सुधांशु की ओर से पत्रकारों को भेज गए इस दिशानिर्देश को एक नज़र पर देखने से लगता है कि अख़बार अपनी छवि निष्पक्ष दिखाना चाहता है, लेकिन इसके लिए अख़बार का रंग-ढंग बदलना ज़्यादा ज़रूरी है। कभी अंग्रेज़ों के नज़रिए को टक्कर देने के लिए निकाले गए ‘राष्ट्रीय’ अख़बार हिंदुस्तान ने हाल के कुछ वर्षों मं जिस तरह ख़बरों को सांप्रदायिक और जातिवादी नज़रिए से पेश किया है, उसने इसकी छवि काफ़ी ख़राब की है।

सवाल यह भी उठता है कि क्या हिंदुस्तान से जुड़े पत्रकारों को यह अक्ल नहीं कि उन्हें किस तरह के कथ्य को पसंद करना चाहिए या आगे बढ़ाना चाहिए। ऐसे लिखित निर्देश हिंदुस्तान के पत्रकारों पर भी टिप्पणी है।

 

बहरहाल पढ़िए, इस दिशा निर्देश की चिट्ठी—

 

 

प्रिय साथियों अत्यंत आवश्यक दिशानिर्देश।

कृपया इसका अनुपालन सुनिश्चित करें।

धन्यवाद सुधांशु

 

हम सभी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। एक ज़िम्मेदार और प्रतिष्ठितअखबार का हिस्सा होने के नाते हम सभी को कुछ बिंदुओं का विशेषध्यान रखना है।

1. हमें किसी भी अश्लील, अमर्यादित, देश-समाज विरोधी, वैमनस्यबढ़ाने वाली पोस्ट, चित्र, चुटकुलों को न तो शेयर करना है न लाइक।ऐसी पोस्ट खुद तो हरगिज नहीं डालनी है।

2. किसी भी राजनीतिक दल, व्यक्ति के समर्थन या विरोध में पोस्ट नहीं लिखनी है। शेयर या लाइक भी नहीं करना है। ऐसी पोस्टों पर कमेंट भी न करें।

3. किसी सामाजिक संस्था या उनसे जुड़े लोगों के भी विरोध समर्थन से बचें।

4. जाति, क्षेत्र, भाषा आदि के आधार पर विभेदकारी पोस्ट करने वउसके शेयर लाइक से परहेज करें।

5. अपराध में लिप्त या उसके शिकार नाबालिग व महिला की फ़ोटो, उसकी पहचान उजागर करने वाली सामग्री कतई पोस्ट न करें। उसकेलाइक-शेयर से भी बचें।

6. किसी भी निम्न स्तरीय और विवादित सोशल साइट्स , what’s app, blogs ग्रूप्स का हिस्सा न बनें ।

इन बिंदुओं का उल्लंघन अनुशासन हीनता माना जाएगा।

 

 



 

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