बीजेपी के दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने खोली ‘राफ़ेल घोटाले’ की पोल लेकिन कॉरपोरेट मीडिया पी गया!

 

गिरीश मालवीय

 

‘भारत का बड़े मीडिया घराने कल एक बार फिर नंगे हो गए कल शाम 5 बजे के लगभग NDA सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा और प्रसिद्ध पत्रकार अरुण शौरी तथा उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने संयुक्त रूप से सवाल उठाते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में फ्रांस सरकार से लड़ाकू विमान राफेल के सौदे पर मोदी सरकार से कई प्रश्न उठाए गए।

लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस ख़त्म होने के बाद इक्का-दुक्का चैनल और अख़बारी वेबसाइटों ने ही इस ख़बर पर तवज्जो दी।

रात 9 बजे के बाद जब इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर अनिल अंबानी की रिलायंस ने अपना जवाब पेश किया तब जाकर मीडिया को थोड़ी शर्म आयी और रिलायंस के जवाब के संदर्भ में मीडिया ने थोड़ी बहुत इस पर स्टोरी की।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरुण शौरी ने मोदी सरकार के झूठ को साफ साफ बेनकाब कर दिया कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा था कि अंबानी की कंपनी को राफेल विमान बनाने का ऑर्डर क्यों और कैसे मिला, इसकी जानकारी नहीं दे सकती क्योंकि फ्रांस सरकार के साथ सिक्रेसी एग्रीमेंट से बंधे हुए हैं।

अरुण शौरी ने कहा कि रक्षा मंत्री ने लोकसभा में सबसे बड़ा झूठ बोला क्योंकि भारत और फ्रांस के बीच हुए सिक्रेसी एग्रीमेंट में साफ लिखा है कि सिर्फ विमान की तकनीक से जुड़ी जानकारियों के लिए ये एग्रीमेंट प्रभावी होगा। रक्षा मंत्री बताएं कि अनिल अंबानी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट क्यों दिया, इसका जवाब देने के लिए ये एग्रीमेंट कहाँ मना करता है ? साफ है कि गोपनीयता की आड़ में भ्रष्टाचार छुपाया जा रहा है। UPA सरकार के समय रक्षामंत्री रहे ए.के. एंटनी ने भी यही कहा था कि विमान के दाम का खुलासा ना करने की कोई शर्त नहीं रखी गई थी।।

अरुण शौरी ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन कहती है कि हर ऑफ़सेट कॉन्ट्रेक्ट चाहे वह जिस भी क़ीमत का हो, रक्षा मंत्री की मंज़ूरी से होगा। इसलिए मोदी सरकार झूठ बोल रही है कि रिलायंस को कॉन्ट्रेक्ट डेसाल्ट ने दिया, एक ऐसी कम्पनी जिसे कांट्रेक्ट मिलने के 10 दिन पहले बनाया गया है जिसे विमानन का कोई अनुभव नही है, उसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पर वरीयता क्यों दी जा रही है?

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से इतर बात की जाए तो कि अनिल अंबानी और उनकी कंपनी के रिलायंस पॉवर, रिलांयस कम्युनिकेशन या दिल्ली में एयरपोर्ट लाइन बनाने से ले कर दस तरह के ठेकों का जो रिकार्ड है उसमे अम्बानी की कंपनी जैसी कर्ज में डुबी है बरबाद हुई है, क्या उसे इस तरह की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी जा सकती है?

कल अम्बानी ने अपनी दी सफाई में यह भी माना कि हैं कि वो डील के साइन होते वक्त पेरिस में मौजूद थे। कुल मिलाकर रक्षा के क्षेत्र में राफेल डील देश का सबसे बड़ा बड़ा घोटाला साबित होने जा रहा है्।

 

लेखक आर्थिक विषयों के विशेषज्ञ हैं।

 

 



 

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