‘द कश्मीर वाला’ पर प्रतिबंध स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला- IAMC

श्रीनगर से संचालित स्वतंत्र मीडिया संस्थान ‘द कश्मीर वाला’ की वेबसाइट पर लगी सरकारी पाबंदी की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। केंद्र सरकार ने इसकी वेबसाइट को ब्लाक कर दिया है और सोशल मीडिया अकाउंट पर रोक लग गयी है। संस्थान की ओर से कहा गया है कि वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट बंद करने के फ़ैसले की पीछे कोई वजह नहीं बतायी गयी है।

अमेरिका में अल्पसंख्यक तथा अन्य वंचित वर्गों के मानवाधिकारों के लिए सक्रिय इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) ने द कश्मीर वाला वेबसाइट को ब्लॉक किये जाने की कड़ी निंदा की है।  IAMC ने इस क़दम को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।

‘द कश्मीर वाला’ के कर्मचारियों के मुताबिक भारत सरकार के इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा मनमाने ढंग से वेबसाइट को ब्लाक किया गया है। इसका एक्स और फ़ेसबुक पेज भी हटा दिया गया है।

इस सिलसिले में जारी IAMC के बयान में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी वर्चस्व की राजनीति करने वाले प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में भारत में प्रेस की स्वतंत्रता बुरी तरह बाधित की गयी है। मुस्लिम बहुल कश्मीर में  इंटरनेट ब्लैकआउट आम बात है और वहाँ के एकमात्र स्वतंत्र प्रेस क्लब को बंद करा दिया गया है। आतंकवाद निरोधक कानून के तहत पत्रकारों को परेशान किया जाता है। ‘द कश्मीर वाला’ के संस्थापक संपादक फहद शाह आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप में डेढ़ साल से जेल में हैं। जबकि इससे जुड़े ट्रेनी पत्रकार सज्जाद गुल भी जनवरी 2022 से उत्तर प्रदेश की जेल में हैं।

आईएएमसी के कार्यकार निदेशक रशीद अहमद ने कहा है कि ‘द कश्मीरवाला’ तक पहुँच को रोकना, पीएम मोदी के लिए पत्रकारों को डराने और कश्मीर में चल रहे मानवाधिकारों के हनन के बारे में अपनी पकड़ मज़बूत करने का एक और तरीक़ा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत, खासतौर पर कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता के दमन का विरोध करने का आह्वान किया है।

 

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