इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल, जो कि भारत के बहुलतावादी और सहिष्णु सिद्धांतों की पैरवी करने वाला संगठन है, उसने USCIRF की इस रिपोर्ट में भारत को लेकर वर्णित तथ्यों, हालात और चिंता जताते हुए अमेरिकी सरकार को दिए गए मशविरों का स्वागत किया है। अमेरिकी आयोग ने भारत को ‘विशेष चिंता वाले देशों’ की सूची में डाला है, जिसके पीछे लगातार पिछले कुछ सालों में मानवाधिकार उल्लंघन और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमलों की बढ़ती घटनाओं को आधार बनाया गया है।
USCIRF एक स्वतंत्र, निष्पक्ष अमेरिकी सरकारी आयोग है, जो दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता के हालात पर अपनी रिपोर्ट सालाना जांच और सर्वेक्षणों के अलावा फैक्ट फाइंडिंग के आधार पर बनाकर, अमेरिकी राष्ट्रपति को सौंपता है। इस रिपोर्ट में ये आयोग, राष्ट्रपति, स्टेट सेक्रेटरी और यूएस कांग्रेस को नीतिगत सलाह भी देता है। अभी तक इस आयोग ने बारत को टियर 2 सूची में रखा था, जो कि धार्मिक स्वतंत्रता पर ख़तरे के मामले में, प्राथमिकता की दूसरे नम्बर के देशों की सूची थी, लेकिन इस बार भारत इसमें सबसे चिंताजनक हालात वाले देशों की सूची में म्यांमर जैसे देशों के साथ है।
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के प्रेसीडेंट अहसान ख़ान ने कहा, “भारतीय समुदाय के सदस्य के तौर पर हम अपनी जन्मभूमि की बेहतरी चाहते हैं, हम भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की समीक्षा या निंदा पर दुखी तो होते हैं पर इसे ज़रूरी भी मानते हैं – क्योंकि हाल के दिनों में भारत में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न लगातार बढ़ा है।” उन्होंने आगे कहा, “भारत का धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन करने वाले देश के तौर पर सूचीबद्ध किया जाना, दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन अपेक्षित और तर्कसंगत है। हम उम्मीद करते हैं कि ये रिपोर्ट और दूसरे देशों द्वारा इस स्थिति पर ज़ाहिर की जा रही चिंता – भारत में दूसरे धर्मावलंबियों के साथ-साथ जातिगत उत्पीड़न के मामलों के लिए भी एक टर्निंग प्वाइंट साबित होगी।”
मंगलवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इस कमीशन ने अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट और कांग्रेस से 3 अहम सिफारिशें की हैं;
- भारत को सीपीसी (विशेष चिंताजनक हालात वाले देश) के तौर पर चिह्नित करना, “जहां, अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता एक्ट (IRFA – अमेरिका का एक एक्ट) में वर्णित तरीकों से, लगातार और सुनियोजित ढंग से धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हो रहा है”
- इन मामलों में भूमिका निभाने वाली भारत की सरकारी एजेंसियों और पदाधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जाए। ये प्रतिबंध निजी संपत्तियों को फ्रीज करने या अमेरिका में घुसने पर पाबंदी के रूप में काम करे।
- अमेरिकी दूतावास के धार्मिक समुदायों, स्थानीय अधिकारियों और पुलिस के साथ, विशेष तौर पर प्रभावित इलाकों में, मेल-जोल बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाए।
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR), इंटरनेशनल क्रिश्चियन कंसर्न और IAMC के साथ मिलकर मार्च में यूएससीआईआरएफ को चिट्ठी लिख कर भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के मामलों में सबसे चिंताजनक देशों की सूची में रखने की अपील की थी। इस चिट्ठी में, जीनोसाइड वॉच, इक्वैलिटी लैब्स, ज्यूइश वॉइस फॉर पीस, काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन्स, क्रिश्चियन सॉलिडेरिटी वर्ल्डवाइड, यूके, एंगेज एक्शन और रशियन ऑर्थोडॉक्स ऑटोनॉमस चर्च ऑफ अमेरिका समेत दर्जनों अन्य संगठनों और व्यक्तियों से हस्ताक्षर भी थे।
सीएए और एनआरसी के मामले पर, संज्ञान लेते हुए कमीशन ने कहा था कि भले ही ये क़ानून समाज के तमाम तबकों पर, नागरिकता साबित करने का दृश्य दिखा रहा हो लेकिन इसका दुष्प्रभाव और इसके द्वारा पैदा हुई परिस्थितियों, अपमान और संभावित नागरिकता गंवाने का सबसे बड़ा संकट मुस्लिमों के सामने होगा।
इस बार USCIRF ने अमेरिकी सरकार से ये भी कहा है कि भारत पर कमीशन के सदस्यों के दौरे की अनमुति देने का दबाव डाला जाए, 2011 से भारत सरकार लगातार आयोग के सदस्यों को भारत यात्रा का वीसा देने से इनकार करती आ रही है।
इसके अलावा IAMC ने भारत सरकार से अपील की है, वह यूएससीआईआरएफ की सलाह और जांच के बिंदुओं पर ध्यान देकर, ज़रूरी कार्रवाई करे, जिससे भारत में करोड़ों नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की जा सके।