दीपावली के मौके पर पूरा वेब हिंदी मीडिया फरलो फरलो कर रहा है। किसी भी बड़ी वेबसाइट के डेस्क ने शब्दकोश देखने की ज़हमत नहीं उठायी कि अंग्रेज़ी के शब्द Furlough का हिंदी में मतलब क्या होता है। संदर्भ अजय चौटाला को दो हफ्ते के लिए जेल से मिली छुट्टी का है।
आइए, पहले देखें अजय चौटाला को तिहाड़ जेल से मिली संक्षिप्त छुट्टी यानी furlough पर मीडिया संस्थानों की हेडिंग और खबरें। उसके बाद जानेंगे कि ये furlough होता क्या है।
कायदे से यदि furlough को नागरी में लिखा जाए तो ‘लो’ पर रेफ़ लगेगी और यह शब्द कुछ इस तरह लिखा जाएगा− ‘फर्लो’। हिंदी की वेबसाइटों ने रेफ़ लगाने की भी चिंता नहीं की और पूरा ‘र’ लगाकर लिख दिया ‘फरलो’। इसके लिए हिंदी का समानांतर शब्द खाेजना या इसका मतलब समझाना तो दूर की बात रही।
कुछ उदाहरण देखें।
नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, अमर उजाला, दैनिक भास्कर, इंडिया टीवी आदि सभी ने फरलो लिखा है। एनडीटीवी की हिंदी वेबसाइट इस मामले में दिलचस्प है जिसने दो अलग अलग खबरों में “फरलो” और “फर्लो” लिखा है।
आम तौर से जब किसी सज़ायाफ्ता कैदी को पैरोल मिलती है तो मीडिया उसे पैरोल ही लिखता है और पाठक भी अच्छे से समझ जाता है कि इसका मतलब क्या है। चूंकि फर्लो के मामले हमारे बीच कम आते हैं तो कायदे से ख़बर लिखने वाले को समझाना चाहिए था कि फर्लो और पैरोल में फ़र्क क्या है और बहुत अच्छा होता यदि फर्लो के लिए हिंदी में एक शब्द खाेज लिया जाता।
कम से कम इतना तो किया ही जा सकता था कि फर्लो को सही सही लिख दिया जाता। बहरहाल, चूंकि फर्लो और पैरोल दोनों में ही कैद से एक संक्षिप्त छुट्टी मिलती है, तो दोनों के बीच का फ़र्क समझना पत्रकारों के लिए भी ज़रूरी है और पाठकों के लिए भी।
- पैरोल व फर्लो दोनों में सशर्त छुट्टी दी जाती है लेकिन दोनों के नियम अलग हैं। फर्लो ज्यादा सख्त है।
- पैरोल कम अवधि की सज़ा में दिया जा सकता है जबकि फर्लो लंबी अवधि की सज़ा में।
- पैरोल की अवधि को महीना भर बढ़ाया जा सकता है लेकिन फर्लो अधिकतम 14 दिन का होता है।
- पैरोल डिविज़नल कमिश्नर दे सकता है। फर्लो जेल का डिप्टी आइजी देता है।
- पैरोल के लिए कारण बताना पड़ता है। फर्लो के लिए नहीं। वह कैदी का मानसिक संतुलन बनाए रखने या सामाजिक संबंध बहाल करने के लिए दिया जा सकता है।
- पैरोल के हिसाब में जेल की सज़ा का वक्त नहीं जोड़ा जाता। फर्लो में इसका ठीक उलटा होता है।
- पैरोल कितनी भी बार दिया जा सकता है। फर्लो सीमित होता है।
इन मोटे अंतरों के अलावा और बहुत से कारक होते हैं जो तय करते हैं कि कैदी को फर्लो दिया जाए या पैरोल। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तफ़सील से विचार किया है।