क्या आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच करने के आरोप में निलंबित आईएएस अधिकारी का निलंबन खत्म कर दिया गया है और चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। यह खबर आज इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर दो कॉलम में है.
शीर्षक है, “प्रधानमंत्री के हेलीकॉप्टर की तलाशी लेने वाले अधिकारी का निलंबन केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने रोका, चुनाव आयोग ने कार्रवाई की मांग की”. टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर छोटी सी है और सूचना भर कि निलंबन खत्म हुआ. खबर अंदर है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में ही एक और दिलचस्प खबर है जो बांग्लादेश के नागरिकों के संबंध में असम के मुख्यसचिव के बयान के बारे में है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है, हालांकि मैं आज चुनाव आयोग वाले मामले की ही चर्चा करूंगा. हिन्दुस्तान टाइम्स में भी यह खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर सिंगल कॉलम में है और हिन्दी अखबारों में पहले पन्ने पर कहीं नहीं दिखी. इसलिए अगर होगी तो छोटी ही या नहीं होगी. इस खबर को अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ ने प्रमुखता से छापा है और पहले पन्ने पर चार कॉलम में बॉटम है.
फ्लैग शीर्षक है, “वीआईपी किसी भी चीज या सब चीज के योग्य नहीं है”. इस खबर का मुख्य शीर्षक है, “पीएम के हेलीकॉप्टर से जुड़े अधिकारी को राहत”. चुनाव आयोग ने आईएएस मोहसिन के निलंबन आदेश में कहा था कि उन्होंने जांच प्रक्रिया में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के नियमों का पालन नहीं किया. आईएएस मोहसिन वहां सामान्य पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त थे.
इस मामले में न्यायाधिकरण ने कहा है, “…. चुनाव के दौरान एसपीजी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति को सुरक्षा का वाजिब आश्वासन दिया जाना चाहिए पर यह नहीं कहा जा सकता है कि वे किसी चीज और सब चीज के योग्य हैं”. न्यायाधिकरण ने अधिकारी के अधिवक्ता के इस उल्लेख का जिक्र किया है कि इस आशय की खबर थी कि कर्नाटक में माननीय प्रधानंमंत्री के काफिले से भारी सामान ले जाकर दूसरी गाड़ी में रखा गया और वह गाड़ी तेजी से निकल गई. न्यायाधिकरण ने कहा है कि इस संबंध में सवाल उठे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
यही नहीं, अधिकारी ने यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री के हेलीकॉप्टर की जब तलाशी ली गई तो वह वहां थे ही नहीं. न्यायाधिकरण ने आयोग से इस मामले में चार सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है ताकि इसे हमेशा के लिए निपटाया जा सके. इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 3 जून है.
चुनाव आयोग ने ओडिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच करने वाले आईएएस अधिकारी मोहम्मद मोहसिन पर अगले आदेश तक चुनावी ड्यूटी पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी सिफारिश की है. मोहसिन 1996 बैच के कर्नाटक कैडर के अधिकारी हैं. वह पर्यवेक्षक के तौर पर ओडिशा में तैनात थे.
एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों से पेश आने के नियमों का ‘उल्लंघन’ करते हुए ओडिशा के संबलपुर में प्रधानमंत्री के हेलीकॉप्टर की जांच करने को लेकर उन्हें 17 अप्रैल को निलंबित कर दिया गया था. केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने मोहम्मद मोहसिन के निलंबन पर रोक लगा दी थी. बता दें कि पिछले हफ्ते ओडिशा के संबलपुर में रैली के लिए पहुंचे पीएम मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच को लेकर मोहम्मद मोहसिन को निलंबित कर दिया गया था. चुनाव आयोग ने एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों के लिए उसके निर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में ओडिशा के संबलपुर में अपने महापर्यवेक्षक को पिछले हफ्ते निलंबित कर दिया था. हालांकि, विपक्षी दलों ने इस कदम पर नाराजगी व्यक्त की थी, जिसमें कहा गया था कि ऐसा कोई नियम नहीं है जो चुनावों के दौरान किसी को भी इस तरह की चेकिंग से छूट देता हो.
मोहम्मद मोहसिन से निलंबन पर विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए थे. कांग्रेस ने कहा था कि वो अधिकारी अपनी ड्यूटी कर रहा था. उसे आखिर क्यों हटाया क्या. आखिर पीएम मोदी अपने हेलीकॉप्टर में ऐसा क्या लेकर जा रहे थे जो देश से छिपाना चाहते थे. बता दें कि एक दिन पहले ही मोहम्मद मोहसिन को वापस कर्नाटक भेज दिया गया था. वह कर्नाटक काडर के 1996 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.रिपोर्टों में कहा गया है कि संबलपुर निर्वाचन क्षेत्र में इस चेकिंग के कारण प्रधानमंत्री को 15 मिनट की देरी हुई थी. 1996 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी मोहम्मद मोहसिन पर आदेश की उवहेलना और ड्यूटी के दौरान निर्देशों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया गया था.