वैसे तो आज के अखबारों में कई खबर हैं। देश के कई हिस्सों में मतदान है। इससे संबंधित सूचना और भोपाल में साध्वी प्रज्ञा को भाजपा का उम्मीदवार बनाने की घोषणा से लेकर वोट मांगने की चालें, चुनाव आयोग के नोटिस और उन पर योगी की चाल आदि के साथ राहुल गांधी ने दक्षिण के काशी में पूजा की, राष्ट्रपति की जाति पर चर्चा, जेट एयरवेज की आखिरी उड़ान आदि आदि। लेकिन एक खबर ट्वीटर पर खुलेआम बनी। इसे नहीं छापने का भी कारण हो सकता है पर यह जैसे हुआ उसे प्रमुखता से छापना महत्वपूर्ण है। कहने की जरूरत नहीं है इस मामले में कोई दबाव नहीं होगा और ना किसी ने नहीं छापने के लिए कहा होगा पर देखिए किसने कैसे छपा। इसमें ज्यादा विविधता नहीं है फिर भी जानने लायक तो है ही।
मुख्य खबर देश के चार राज्यों में बेमौसम की बारिश से कई लोगों के मर जाने और उसपर प्रधानमंत्री द्वारा ट्वीट कर अफसोस जताने और गुजरात में मरने वालों को मुआवजा देने की घोषणा है। इसपर मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि उनके राज्यों में भी इनसान बसते हैं तो दूसरे राज्य वालों के लिए मुआवजे की घोषणा हुई। बारिश की खबर तो आम तौर पर अखबारों में है और इसकी के साथ ट्वीटर विवाद की भी। पर यह खबर अलग है कि प्रधानमंत्री को याद दिलाना पड़ता है कि वे पांच साल से देश के प्रधानमंत्री और अब उनकी चिन्ता पूरे देश के लिए होनी चाहिए सिर्फ गुजरात के लिए नहीं। आइए देखें आज यह खबर किस अखबार में कैसे है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में भी यह खबर पहले पन्ने पर है और 59 लोगों के मरने की खबर है। खबर के अंदर ट्वीटर विवाद का जिक्र है और बताया गया है कि विवाद के बाद पीएमओ ने ट्वीट कर अफसोस जताया। अंदर के पन्ने पर भोपाल डेटलाइन से विवाद की खबर है।
इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर ना बारिश से तबाही की खबर है और ना ट्वीटर विवाद की। अंदर के पन्ने पर पुणे डेटलाइन से मौसम विभाग के हवाले से चार राज्यों में 50 लोगों के मरने और शुक्रवार तक स्थिति सामान्य होने की खबर है। इसमें ना तो मुआवजे की घोषणा है और ना ट्वीटर विवाद की।
हिन्दी अखबारों में नवोदय टाइम्स में यह खबर सबसे विस्तार से है। शीर्षक है, आंधी तूफान से मौतो पर घमासान। इसके बाद ट्वीटर वार के तहत सामान्य विवरण। फिर तीन ट्वीट और सिंगल कॉलम में खबर, मरने वालों की संख्या 51 हुई। तस्वीर देखिए। दैनिक हिन्दुस्तान में पहले पन्ने पर ना बारिश तूफान की खबर है और ना ट्वीट पर सियासी विवाद की खबर।
अमर उजाला में पहले पन्ने पर खबर है, “बारिश आंधी से 62 मरे, फसलें तबाह”। इसमें बारिश -तबाही का जिक्र तो है लेकिन ट्वीटर पर जो हुआ वह पहले पन्ने नहीं है। पूरी खबर पढ़ने से भी नहीं लगा कि अंदर होगा। हालांकि पहले पेज की खबर में लिखा है, “…. पीएम नरेन्द्र मोदी ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख तथा घायलों को 50-50 हजार रुपए देने की घोषणा की है”। इसके बाद बताया है कि खबर अंदर के पन्ने पर जारी है। अंदर खबर है, “सियासी तूफान : मोदी के ट्वीट पर नाथ का निशाना”।
दैनिक जागरण ने इस खबर को लीप पोत दिया है। अखबार ने आंधी तूफान की खबर में एक बोल्ड लाइन लगाई है – सीएम कमलनाथ का ट्वीट। इसके आगे अखबार लिखता है, कुदरत के इस कहर को लेकर भी सियासत गर्मा गई। इसके बाद अपने अंदाज में खबर लिखी है। हालांकि खबर है उसे पूरी तरह गोल नहीं किया और एक खबर अलग से छापी है, पीएमओ ने ट्वीट कर स्थिति स्पष्ट की। अखबार ने यह भी छापा है, भाजपा सांसद ने भी दिया जवाब। हो सकता है कि दूसरे अखबारों ने इस खबर को इस चक्कर में न छापा हो कि कैन इस बवाल में फंसे।
दैनिक भास्कर में यह खबर पहले पन्ने पर है। शीर्षक है, “मोदी ने गुजरात में बारिश से मौतों पर दुख जाताया, कमलनाथ ने घेरा तो दूसरे राज्यों का जिक्र किया। अखबार ने लिखा है, मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी पर उनके ट्वीट को लेकर निशाना साधा। मोदी ने गुजरात में बारिश-तूफान पीड़ितों के प्रति संवेदना प्रकट की, जिस पर कमलनाथ ने उन्हें याद दिलाया कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं, न कि गुजरात के। अखबार ने तीनों ट्वीट उनके समय के साथ छापा है।