हिन्दी अखबारों में अब बाईलाइन वाली एक्सक्लूसिव खबरें बहुत कम होती हैं। हिन्दुस्तान में इधर कुछ ज्यादा दिख रही हैं। मैंने कल भी बताया था कि एक एक्सक्लूसिव खबर लीड थी। पहले की इसकी एक्सक्लूसिव खबर पर मैं लिख भी चुका हूं। आज भी अखबार की लीड एक्सक्लूसिव और बाईलाइन वाली है। इसका शीर्षक अटपटा है, “यूपी बिहार वालों की आय कम, कर ज्यादा”। आप जानते हैं कि आयकर की दर देश भर में समान है। ऐसे में आय कम होने पर कर ज्यादा होने का कोई मतलब ही नहीं है। ऐसा हो ही नहीं सकता है। पर बाईलाइन लेने के लिए रिपोर्टर ने इस सामान्य सी सूचना को प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति टैक्स – के रूप में पेश किया है। अगर ऐसे खबर लिखी जाए तो प्रति व्यक्ति आय देश भर में हर परिवार, समूह,गांव मोहल्ले, घर में अलग आएगी और हर मामले में आयकर अलग होगा। होने को यह एक सूचना जरूर है पर संभवतः किसी काम की नहीं है।
खबर कहती है,देश में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की प्रति व्यक्ति आय अन्य राज्यों से काफी कम है। इसके बावजूद आय के मुकाबले कर अनुपात सबसे अधिक है। दोनों राज्यों के लोग प्रति व्यक्ति आय का 20 फीसदी से अधिक कर चुकाते हैं। इसके उलट दिल्ली और हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय सबसे ज्यादा है जबकि आय के मुकाबले कर अनुपात सबसे कम है। वित्त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2016-17 में यूपी में 50,942 रुपये प्रति व्यक्ति आय पर 11,239 रुपये औसत कर देना पड़ता है, जो कुल आय का 22.06% है। इसी प्रकार बिहार में कर का बोझ कुल आय का 23.81% था। बिहार में प्रति व्यक्ति आय 34,409 रुपये थी जबकि प्रति व्यक्ति कर 8,191 रुपये देना पड़ा था। कहने की जरूरत नहीं है कि यह सीधा-सरल गणित है और इसे खबर के रूप में पेश कर दिया गया है।
खबर आगे बताती है कि दिल्ली में आय प्रति व्यक्ति आय के राष्ट्रीय औसत से तीन गुना ज्यादा है। 2016-17 में दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत 1,03,870 रुपये के मुकाबले 3,00,793 रुपये थी। जबकि प्रति व्यक्ति कर भार मात्र 18,762 रुपये रहा। वैसे, इस हिसाब से देखें तो बिहार में प्रति व्यक्ति कर अगर 8,191 रुपए है तो यह दिल्ली में 18,762 रुपए है। साफ है कि ज्यादा कमाने वाले राज्य के लोग ज्यादा कर (प्रतिव्यक्ति भी) दे रहे हैं। यही स्थिति बिहार और यूपी की तुलना करने पर मिलती है। हालांकि प्रतिशत में यह बढ़ जाता है और उत्तर प्रदेश में बिहार में 22.06% है तो बिहार में 23.81%। यह भी सामान्य गणित ही है और इसे खबर बनाने की कोई तुक नहीं है। आंकड़ों में कई बार मनोरंजन होता है पर इन आंकड़ों में मनोरंजन भी नहीं है।
दैनिक जागरण में एक अलग-अनूठी खबर को लीड बनाने की चर्चा मैंने कल की थी। आज फिर जागरण में एक अलग अनूठी खबर लीड है। पर आज खासियत यह है कि वही खबर लगभग वैसे ही शीर्षक के साथ नवभारत टाइम्स में भी लीड है। नभाटा में खबर का शीर्षक है, अमेरिका में किरकिरी, एयरपोर्ट पर इमरान का नहीं हुआ स्वागत। एक तस्वीर का शीर्षक है, मेट्रो में बैठकर करना पड़ा सफर। इसके साथ छपी एक और खबर तथा तस्वीर का शीर्षक है, पाक में तंगी ले रही हर घंटे एक जान। नभाटा ने इस खबर का फ्लैग शीर्षक लगाया है, पाकिस्तानी पीएम की ट्रंप से मुलाकात आज। दैनिक जागरण में इस खबर का शीर्षक है और यह अखबार में लीड है, अमेरिका में इमरान की फजीहत। उपशीर्षक है, ठंडा रुख – पाक प्रधानमंत्री का स्वागत करने एयरपोर्ट पर नहीं पहुंचा ट्रंप प्रशासन का कोई मंत्री। इस खबर का इंट्रो है, एयरपोर्ट से मेट्रो की यात्रा कर पाक राजदूत के आवास पहुंचे।
आज कई अखबारों में खबर है कि बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का वीजा एक साल और बढ़ा दिया गया है। वे 2004 से भारत में रह रही हैं। पर खबर छोटी सी है, प्रमुखता से नहीं। इस बीच मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक और भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र के खिलाफ भोपाल नगर निगम के अधिकारी को बल्ले से मारने के मामले में कार्रवाई नहीं हुई है। प्रधानमंत्री ने इस मामले में नाराजगी जताई थी तो अखबारो ने प्रमुखता से छापा था पर अब तीन हफ्ते होने को आए। किसी कार्रवाई की खबर नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस ने इसपर खबर छापी है। द टेलीग्राफ एक खबर के अनुसार पूर्व प्रधानंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि चंदा एक ही पार्टी को मिल रहा है,चुनाव के लिए सरकारी फंडिंग पर विचार हो। दैनिक भास्कर ने इस खबर के साथ एक अन्य खबर में बताया है कि 80.6 प्रतिशत चुनावी बॉन्ड दिल्ली में भुनाए गए। इसके अलावा आज के अखबारों में दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मांगे राम के निधन की खबर भी प्रमुखता से है। झारखंड में जादू टोने के शक में चार बुजुर्गों की हत्या की खबर भी आज महत्वपूर्ण है।
नवभारत टाइम्स ने लिखा है
वॉशिंगटन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान एयरपोर्ट से बिना लाव-लश्कर के मेट्रो से निकले। उनके साथ पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी व कुछ अन्य अफसर भी थे। पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक तंगी के कारण पाकिस्तान में हर घंटे एक मौत हो रही है। अनुमान है कि 34% पाकिस्तानी डिप्रेशन के शिकार हैं। महंगाई इतनी ज्यादा है कि पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाकर 13.25% कर दी हैं, जो आठ साल में सबसे ज्यादा हैं। एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया गिरकर 160 पर आ चुका है। गेहूं की एक रोटी 30 रुपये की मिल रही है। शिक्षा और रोजगार के मोर्चे पर हाल और खराब हैं।
इमरान कतर एयरवेज की उड़ान से वॉशिंगटन पहुंचे और किसी होटल के बजाय अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत अजद मजीद खान के निवास में ठहरे हैं। पाकिस्तान की कोशिश अमेरिका से रिश्ते सुधारने की है, जिससे कि उसे मिलने वाली अमेरिकी सहायता पर पिछले साल लगी रोक हट सके। इमरान के साथ आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा, आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद और कुछ अन्य अधिकारी हैं। इमरान सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति से लंच पर मिलेंगे। इससे पहले एक अधिकारी ने कहा कि अगर अफगानिस्तान में हमारी चिंताओं पर पाक काम करता है और लश्कर, जैश जैसे आतंकी समूहों पर कार्रवाई करता है तो सस्पेंशन बदलने पर विचार करेंगे।
दैनिक जागरण ने लिखा है
कंगाल अर्थव्यवस्था और आतंकियों को संरक्षण देने के दाग के साथ अमेरिका पहुंचे पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान को एयरपोर्ट पर फजीहत का सामना करना पड़ा इमरान की अगवानी के लिए ट्रंप प्रशासन का कोई मंत्री मौजूद नहीं था। हवाई अड्डे पर केवल प्रोटोकॉल अधिकारी मैरीकेट फिशर ही मौजूद रहीं। पहले से ही अमेरिका में मौजूद पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और राजदूत असद मजीद खान ने इमरान का स्वागत किया। बेइज्जती की हद तो तब हो गई है, जब इमरान खान को अपने ही अफसरों के साथ मेट्रो की यात्रा कर अपने राजदूत के आवास तक जाना पड़ा। मेट्रो में भी इनके साथ कोई अमेरिकी अधिकारी नहीं था। इमरान किसी होटल के बजाय अपने राजदूत के यहां ही ठहरे हैं। वह विशेष विमान के बजाय कतर एयरवेज की सामान्य उड़ान से यहां पहुंचे थे।
अमेरिका को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने इमरान की यात्रा से पहले आतंकी सरगना हाफीज सईद को जेल में डाल दिया गया है। हालांकि, खान के यहां पहुंचने से पहले ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पाक जब तक अपने यहां आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं करता, उसे सैन्य सहायता निलंबित करने की अमेरिकी नीति जारी रहेगी। अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा, इमरान का अमेरिकी दौरा वास्तविकता के लिहाज से कमजोर दौरा होगा। हक्कानी ने कहा, ‘इमरान अमेरिका के नए राष्ट्रपति को पुराना माल बेचेंगे। उनके पास वादा करने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्होंने पहले ना किया हो।’अखबार ने यह भी बताया है कि सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए इमरान। इसके अनुसार, अमेरिका में स्वागत नहीं होने पर इमरान सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए। एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘पाक ने क्रिकेट विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। यह उसी की सजा है।’
जागरण ने इस पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का ट्वीट भी छापा है। इसके मुताबिक उन्होंने लिखा है, ‘उन्होंने (इमरान ने) अपने देश के पैसे को बचा लिया, जिसे खर्च करने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने किसी चीज का घमंड नहीं किया जैसा ज्यादातर नेता करते हैं। मुझे बताइए कि ऐसा करना बुरी बात क्यों है। यह इमरान खान के बजाय अमेरिका के नकारात्मक पहलू को उजागर करता है।’