आज के अखबारों में तेलंगाना की एक खबर पहने पन्ने पर है। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर लीड है और इसी से इसपर ध्यान गया। आप कह सकते हैं और अखबार ने लिखा भी है कि यह एक जैसी दूसरी वारदात है इसलिए कहने की जरूरत नहीं है कि खबर महत्वपूर्ण हो गई है। लेकिन मैं तो यही समझ रहा हूं कि इंदौर के भाजपा विधायक ने सरकारी अधिकारी को पीटा तो खबर पहले पन्ने पर नहीं छपी लेकिन तेलंगाना में विधायक के भाई (जो तेलंगाना राष्ट्र समिति के हैं) ने अधिकारी को पीटा को खबर पहले पन्ने पर छप गई। यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया (सिंगल कॉलम), नवभारत टाइम्स (सिंगल कॉलम), अमर उजाला (डीसी फोटो के साथ डबल कॉलम खबर) और राजस्थान पत्रिका (डीसी फोटो के साथ डबल कॉलम खबर) में भी है। अब आप सोचिए कि इंदौर की खबर अगर दिल्ली में पहले पन्ने पर नहीं छपे और तेलंगाना की छपे तो कारण क्या हो सकते हैं। निश्चित रूप से यह संपादकीय विवेक का मामला है पर उसके पीछे तर्क तो होगा ही।
विधायक दो दिन जेल रह आए। आज कई जगह उनके स्वागत की खबर है। उन्होंने कहा है कि अपने किए पर अफसोस नहीं है पर अब वे गांधी के रास्ते पर चलेंगे। यह सब पहले पन्ने पर नहीं छापने वाले अखबार तेलंगाना की ऐसी ही खबर पहले पन्ने पर किसलिए छाप रहे हैं आप समझिए। राजस्थान पत्रिका में बल्लामार विधायक की खबर थी, आज तेलंगाना की भी है और बल्लामार विधायक के जेल से रिहा होने पर स्वागत की खबर भी पहले पन्ने पर है। अमर उजाला में यह सब पहले पन्ने पर नहीं था आज रिहाई की खबर की सूचना पहले पन्ने पर (सिंगल कॉलम) है। विस्तार अंदर होने की सूचना है। पर तेलंगाना की खबर दो कॉलम की फोटो के साथ दो कॉलम में है। अमर उजाला में इंदौर की खबर देश-विदेश की खबरों के पन्ने पर तीन कॉलम में थी।
हिन्दुस्तान टाइम्स में फॉलो-अप
आजकल अखबारों में फॉलो अप अमूमन नहीं होता। कुछेक अखबार और खबरें अपवाद होती हैं। इंडियन एक्सप्रेस जूनियर विजयवर्गीय को ठीक से फॉलो कर रहा है। पहले दिन बल्लेबाजी और गिरफ्तारी के बाद 28 को बल्लेबाजी पर कोई खबर पहले पन्ने पर नहीं थी लेकिन अगले दिन, 29 को अखबार ने बताया कि किस बिल्डिंग के लिए बल्लेबाजी हुई। उसकी तस्वीर भी छपी। 30 को जमानत की खबर के साथ बताया गया था विधायक आकाश ने जिस अधिकारी की पिटाई की थी वे डरे हुए हैं और आज जब वह बाहर आ गए तो अखबार ने उनसे बातचीत कर पूरी खबर विस्तार से छापी है। ऐसे में कल लगभग सभी अखबारों में पुणे के एक अपार्टमेंट की दीवार गिरने से 15 लोगों के मरने की खबर थी। तस्वीर भी थी हालांकि तस्वीर दीवार गिरने से कारों को हुए नुकसान की थी।
इस पर मैंने कल एक फेसबुक पोस्ट लिखा था – “आज सभी अखबारों में पुणे के एक आवासीय कांपलेक्स की दीवार गिरने से हुए जान-माल के नुकसान की खबर है। वैसे तो इस दुर्घटना में 15 लोग मर गए पर तस्वीरें कारों को हुए नुकसान की छपी हैं (शवों की छपनी भी नहीं चाहिए)। इससे सहानुभूति कारों के लिए होती है कटिहार के जो 15 लोग मर गए, झोपड़ियों में रह रहे थे तो गरीब ही होंगे और उनकी नीयति यही थी। पर तस्वीरों को देखने से लगता है कि एक दीवार के नीचे अगर झुग्गियां बनीं हैं तो दीवार की मजबूती सुनिश्चित की जानी चाहिए थी। झुग्गियां अवैध होंगी इसलिए कमजोर दीवार की परवाह किसे है। और गरीब अपनी सुरक्षा कहां सुनिश्चित कर पाता है। गाड़ियों का नुकसान जरूर हो गया। पर उसका भी बीमा होगा। कहने की जरूरत नहीं है कि दीवार जितनी मजबूत होनी चाहिए थी उतनी मजबूत नहीं थी और अगर बारिश में गिरी है मतलब पानी निकलने की व्यवस्था नहीं थी या नाली जाम होगी जो आम है।
इस मामले में खास बात यह है कि इन दिनों देश भर में बारिश नहीं होने, गर्मी और वर्षा के जल का संचय तथा भूजल स्तर नीचे जाने की खबर छप रही है, चर्चा चल रही है। कुछ ही दिन पहले व्हाट्सऐप्प पर एक वीडियो आया था जो पुणे की ही किसी हाउसिंग सोसाइटी का था और उसमें बताया गया था कि बारिश का पानी कैसे रेन वाटर हारवेस्टिंग की उपयुक्त व्यवस्था से वापस जमीन में चला जा रहा है। संयोग से यह दुर्घटना पुणे में ही हुई। बारिश के पानी के निकलने की व्यवस्था नहीं होने से ही दीवार गिरती है और रेन वाटर हारवेसटिंग की व्यवस्था नहीं होने से भी ऐसा होता है। इसलिए जहां कहीं भी पानी इकट्ठा होता है या बारिश की स्थिति में तेजी से बहता है वहां रेन वाटर हारवेस्टिंग का पिट बना दिया जाए तो ऐसी दुर्घटना नहीं होगी। निश्चित रूप से यह काम खर्चीला है पर जरूरी है। और इसका दोहरा फायदा है। पर होगा कैसे?”
कल मैंने वर्षा जल संचय या रेन वाटर हारवेसटिंग की भी बात की थी। मेरा मानना है कि बरसात में होने वाली ऐसी दुर्घटनाओं में कई इस कारण भी होती हैं कि बारिश के पानी के निकलने का बंदोबस्त नहीं होता है। हर कई अपने इलाके से आगे की नहीं सोचता है। इससे पानी इधर-उधर भर जाता है और उससे जो नुकसान होता है वह तो है ही, पानी भी बेकार जाता है। ऐसे में अगर पानी के रास्ते में रेन वाटर हारवेस्टिंग पिट बना दें तो पानी सीधे जगह पर पहुंच जाएगा। यह अलग बात है कि उसे ढंकने के लिए अच्छी जाली जरूरी है और सच पूछिए तो इसकी सफलता जाली के डिजाइन और उसके रख-रखाव पर ही निर्भर करेगी। दुर्घटना से बचने के लिए उसे हमेशा ढंक कर रखना सुनिश्चित करना होगा। पर यह बहुत मुश्किल नहीं है। खासकर इससे होने वाले लाभ के मद्देनजर। दिल्ली में मिन्टो ब्रिज के नीचे हर साल बरसात में पानी भरता है और कोई ना कोई वाहन फंसता है।
जहां तक मैं जानता हूं, वहां इकट्ठा होने वाले पानी को निकालने के लिए मोटर लगा है और अगर कभी किसी कारण से नहीं चले तो सीन बन जाता है। अगर वहां रेन वाटर हारवेस्टिंग पिट बना दिया जाए तो पंप और उसे चालू करने का झंझट खत्म हो जाएगा ना यह सुनिश्चित करना होगा कि बारिश के समय पंप चलाने के लिए कोई हो या पहुंचे। इसकी बजाय जाली को बारिश शुरू होने से पहले और बंद होने के बाद साफ कर दिया जाए तो पानी इकट्ठा होने की संभावना नहीं के बराबर रहेगी और उसका संचय भी होगा। प्रधानमंत्री ने कल अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मन की बात में भी पानी बचाने पर जोर दिया है और आज के अखबारों में यह खबर भी प्रमुखता से है। इसके अलावा पानी का संकट तो है ही। राजस्थान पत्रिका में आज इससे संबंधित खबर लीड है।