CAA विरोधी प्रदर्शन और दंगे कवर करने वाले पत्रकारों के लिए CPJ की सुरक्षा एडवायज़री

दिसंबर 2019 में विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू होने के बाद से पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इसके कारण दिल्ली के कई क्षेत्रों में हिंसा भड़क उठी है जिसमें कम से कम 14 लोग मारे जा चुके गए हैं और 150 से अधिक घायल हैं. कुछ जगहों पर धारा 144 लागू की गई है, जिसके तहत किसी भी स्थान पर चार या उससे अधिक लोगों इकट्ठा नहीं हो सकते.

इस क़ानून के ख़िलाफ अभियान शुरू  होने के बाद से पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों के साथ मार-पीट किए जाने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. ख़बरों के मुताबिक़, पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया है और उनके ख़िलाफ आंसू गैस एवं रबर की गोलियों का इस्तेमाल करने के अलावा उन पर गोलियां भी चलाई है. बदले में, प्रदर्शनकारियों द्वारा टायर जलाए हैं. पेट्रोल बम और पत्थर फेंके गए हैं और कई घरों एवं वाहनों में आगज़नी की गई है.

कई बार पुलिस प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों की सुरक्षा करने में नाकाम रही है. इसी तरह, कुछ पुलिसकर्मियों ने नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों को इस क़ानून के विरोधियों पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है. कुछ पत्रकारों को अपने मोबाइल से फोटो और वीडियो डिलीट करने के लिए मजबूर किया गया है. साथ ही उनकी पहले की रिपोर्टों के आधार पर विशेष रूप से उनको निशाना बनाया गया है. ऐसी ही एक घटना उर्दू अखबार ‘सियासत’ के रिपोर्टर मोहम्मद मुबाशिरुद्दीन के साथ घटी, जिन्हें एक विरोध प्रदर्शन की रिपोर्ट करते समय फरवरी में गिरफ्तार किया गया था. इस घटना की रिपोर्ट सीपीजे ने प्रकाशित की थी.

वर्तमान में, विरोध प्रदर्शन और हिंसा के रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में नई दिल्ली के मौजपुर, चांद बाग़, अशोक नगर, यमुना विहार, कर्दमपुरी, गौतमपुरी, जाफराबाद, दयालपुर, भजनपुरा, मुस्तफाबाद और सीलमपुर शामिल हैं.

इसके अलावा, और भी दूसरे ऐसे शहर हैं जहां इस कानून के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और उन में चेन्नई (तमिलनाडु), भोपाल (मध्य प्रदेश), अगरतला (त्रिपुरा), हैदराबाद (तेलंगाना), गुवाहाटी (असम),

अलाहाबाद और लखनऊ (उत्तर प्रदेश), अहमदाबाद (गुजरात), कोलकाता और मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल), बैंगलोर और मैंगलोर (कर्नाटक), मुंबई (महाराष्ट्र) पटना (बिहार) और चंडीगढ़ (पंजाब) शामिल हैं.

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें

इसके अलावा Safety Kit में ऐसी बुनियादी जानकारियां दी गई हैं जिनकी रोशनी में पत्रकार यह तय कर सकते हैं कि शारीरिक, मानसिक और डिजिटल सुरक्षा के लिए कौन कौन से तरीक़े काम आ सकते हैं. इसमें आंतरिक उपद्रव (Civil Unrest) की रिपोर्टिंग करने के बारे में भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं. अगर आपको सहायता की ज़रूरत है, तो आप emergencies@cpj.org पर सीपीजे से संपर्क कर सकते हैं.

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