दीपंकर पटेल
BBC हैडलाइन बदल रहा है, फिर पत्थरबाजों के इलाके को गज़ापट्टी हो जाने का हवाला दे रहा है।
BBC के माजिद जहांगीर श्रीनगर डाउनटाउन को अन्डरकोट ‘गज़ा’ पट्टी घोषित करती हुई हैडलाइन लगा रहे हैं, लगे हाथ उन्हें इजराइल-हमास भी परिभाषित कर देना चाहिए।
अलगाववादियों की कही बात को हैडलाइन बनाते हुए सनसनीखेज बनाकर पेश करना कैसी निष्पक्षता है?
इससे पहले माजिद जहांगीर ने ही अन्डरकोट हेडलाइन से CRPF की गाड़ी द्वारा कुचले जाने को लिखा था- ‘….वो ड्राइवर वहां लोगों को मारने आया था’ … बाद में इस हैडलाइन को BBC द्वारा बदला गया।
माजिद कश्मीर के हैं और जामिया मिलिया से पढ़ाई की है। जामिया मिलिया में अपने अध्ययन के दौरान मैंने कश्मीर के मसले पर उत्तर भारतीय मुसलमानों और कश्मीरी मुसलमानों के बीच जबरदस्त तनातनी देखी है।
पत्रकारिता में रिपोर्टर के इलाके विशेष के होने पर उसे उस जगह की रिपोर्टिंग मिल जाती है, भारत में खास तौर पर ये देखा जाता है क्योंकि सम्पादक को ये भरोसा होता है कि रिपोर्टर को सूचना के साथ-साथ इलाके का सांस्कृतिक ज्ञान भी होगा. लेकिन पत्रकार की इलाके के साथ जुड़ी संवेदना और पूर्वाग्रह खबरों की निष्पक्षता को प्रभावित करते हैं।
इन दोनों खबरों के साथ यही हुआ है।
श्रीनगर डाउनटाउन को गज़ापट्टी होने की मान्यता मिलने से अलगाववादियों के अलावा किसी और का कोई हित नहीं है। और जिस रिपोर्ट में किसी पत्थरबाज के हवाले से ये बताते हैं कि वो वहां लोगों को मारने आया था, उसी रिपोर्ट में वो उस वक्त वहां मौजूद किसी पत्रकार से बात करने की कोशिश क्यों नहीं करते?
ग्राउन्ड रिपोर्ट का मतलब ये नहीं है कि आप किसी के हवाले से कोई कहानी सुना दें.
फिलहाल तो माजिद यही कर रहे हैं.