दिल्ली सरकार से अवार्ड लेकर ‘आज तक’ संपादक ने उसे ही ‘झूठा’ बताया!

पूरी दुनिया ये मानती है कि भारतीय न्यूज़ चैनल, ख़ासतौर पर हिंदी न्यूज़ चैनल कॉरपोरेट्स की कठपुतली हैं और उन्हीं के इशारे पर रात दिन अंधविश्वास, युद्धोन्माद और सांप्रदायिक उन्माद परोसते हैं ताकि बीजेपी की सत्ता बरक़रार रहे। ख़ासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछना गुनाह समझा जाता है और विपक्ष को रात-दिन कठघरे में रखना कर्तव्य। उसकी यह ख़्याति सात समंदर पार कुछ इस कदर पहुँच गई है कि अमेरिका पहुँचे आज तक के एक पत्रकार के सवाल पर वहाँ के राष्ट्रपति ट्रम्प ने पूछ ही लिया कि मोदी जी, ऐसे पत्रकार लाते कहाँ से हैं? दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स यानी ट्र्ंप अमेरिकी पत्रकारों के सवालों से जिस तरह घिरता है, उसके बाद मोदी से ईर्ष्या होना स्वाभाविक ही है।

हिंदी चैनलों का सिरमौर है आज तक। नंबर वन। उसके संपादक हैं सुप्रिय प्रसाद जिन्हें दिल्ली सरकार की हिंदी अकादमी ने इस साल का अपना पत्रकारिता सम्मान दिया है। किसी रिपोर्टर को सम्मान मिलता है तो कसौटी उसकी ख़बरें होती हैं, लेकिन अगर कोई संपादक सम्मानित होता है तो फिर उसके नेतृत्व में प्रकाशित-प्रसारित होने वाले अख़बार,पत्रिका और चैनल को कसौटी पर रखा जाता है। माना जा सकता है कि आज तक को लगातार टीआरपी में नंबर वन रखने के पीछे सुप्रिय प्रसाद हैं, लेकिन टीआरपी के लिए उन्होंने युद्धोन्माद, सांप्रादियक उन्माद और अंधविश्वासों को प्रसारित करने में कोई हिचक नहीं दिखाई। रोज शाम इस चैनल पर ज़हरबुझी भाषा में समुदायों के बीच दंगल कराया जाता है। तो क्या हिंदी अकादमी को सिर्फ़ भाषा से मतलब है चाहे वह आग लगाने वाली हो। किसी सरकारी अकादमी से यह सवाल तो पूछा ही जाना चाहिए कि क्या उसकी नजर में संविधान और उसमें दर्ज भाईचारे और वैज्ञानिक चेतना विकसित करने का मूल्य कोई मायने नहीं रखता?

बहरहाल, सबसे हैरानी की बात तो ये है कि सम्मानित होने के मौके पर सुप्रिय प्रसाद ने अपने भाषण में दिल्ली सरकार को ही झूठा करार दे दिया। उन्होंने याद दिलाया कि चार साल पहले जिस सरकार ने आज तक के खिलाफ एक पन्ने का विज्ञापन दिया था, वही सम्मानित कर रही है तो यह ‘आज तक’ की निष्पक्षता पर मुहर है। सुप्रिय प्रसाद को सम्मानित करने वाले उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास इसका कोई जवाब नहीं था या चुनावी मौसम को देखकर उन्होने चुप रहना मंजूर किया, वही जानें।

सुप्रिय के शब्द थे- ‘आज तक के लिए खुशी की बात इसलिए भी है कि जिस सरकार ने चार साल पहले हमारे खिलाफ पूरे पन्ने का ऐड दिया था, आज वही सरकार हमें सम्मानि कर रही है, तो इससे हमारी निष्पक्षता पर भी मुहर लगती है।’

सुप्रिय दरअसल, चार साल पहले के विवाद को याद दिला रहे थे, जब आज तक ने खबर चलाई थी कि दिल्ली सरकार 18 रुपये किलो में प्याज़ खरीदकर 30 रुपये में जनता को बेच रही है।केजरीवाल सरकार की ओर से इसे झूठ बताते हुए अखबारों में फुल पेज विज्ञापन दिए गए थे। लेकिन मौका पाकर सुप्रिय ने अपनी पीठ थपथपा ली।


केजरीवाल सरकार ने कभी मैत्रेयी पुष्पाऔर विष्णु खरे जैसे सम्मानित साहित्यकारों के हाथ हिंदी अकादमी की कमान सौंपी थी।अब उस पद पर चार लाइना वाले हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा हैं। हास्य कवि ने अपनी सरकार को चुटकुला बनाने में कसर नहीं छोड़ी।

वैसे आज तक या टीवी टुडे ग्रुप के दूसरे चैनलों में सुप्रिय के सम्मान को सरस्वती के उपासक, हिंदी के सजग प्रहरी, हिंदी को दुनिया के सबसी धाकड़ आवाज़ बनाने वाले का सम्मान बताते हुए जो ख़बर चलाई, उसमें सरकार पर की गई टिप्पणी वाली लाइन गोल कर दी है। पर आप यहाँ सुन सकते हैं-

 

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