असम कांग्रेस ने अपने एक मौजूदा विधायक को पार्टी की नीतियों के खिलाफ बयान देने के लिए शुक्रवार को विधायक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया। कांग्रेस विधायक पर आरोप है कि उन्होंने असम के सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की बड़ी प्रवृत्ति के साथ सांप्रदायिक रंग के मामलों में बयान दिया। जिससे राज्य में आगामी उप चुनाव को लेकर पार्टी की छवि को खराब हो। वहीं अपने ही विधायक की इस हरकत पर कांग्रेस पार्टी ने विधायक को बीजेपी का एजेंट बताया है।
नोटिस में कहा गया..
पार्टी ने यह कार्रवाई शेरमन अली अहमद के खिलाफ हाल ही में आयोजित गोरुखुटी अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर उनके ‘राजनीति से प्रेरित’ बयानों के चलते की है। विधायक शेरमन अली अहमद को जारी कारण बताओ नोटिस में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) ने कहा, “आप कांग्रेस पार्टी का हिस्सा रहते हुए बीजेपी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा से आपकी निकटता के कारण, आपको विशेष रूप से चुनाव के समय कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसी टिप्पणी करने के लिए प्रायोजित किया जा रहा है।
एक विधायक के रूप में, मीडिया में आपकी सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ टिप्पणी असम आंदोलन की पिछली घटनाओं के पुराने घावों को ताज़ा कर रही है।” अहमद के बयान पर आपत्ति जताते हुए, असम कांग्रेस ने नोटिस में आगे कहा है कि “अहमद ने पहले भी दो बार सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ बयान दिए थे और पार्टी अनुशासन के खिलाफ गए थे।” नोटिस में विधायक से तीन दिन में इसके पीछे का स्पष्टीकरण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा को देने के लिए कहा गया है।
1983 में मारे गए आठ लोग शहीद नहीं बल्कि हत्यारे थे: शेरमन
शेरमन अली अहमद ने मीडिया को बताया, असम आंदोलन के दौरान 1983 में मारे गए आठ लोग शहीद नहीं बल्कि हत्यारे थे। उन्होंने कहा था कि ये लोग कई अन्य लोगों की हत्या में शामिल थे। इन लोगों ने उस दौरान असम आंदोलन के नाम पर कई लोगों की हत्या कर दी थी। गौरतलब है कि हाल ही में दरांग जिले के गोरुखुटी में किया गया बेदखली अभियान बेहद हिंसक हो गया था। इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई जिसमे एक 12 वर्षीय मासूम भी था और कई अन्य घायल हो गए थे।