वायु प्रदूषण ले सकता है महानगर निवासियों की ज़िंदगी के 9 साल- AQLI रिपोर्ट

वायु प्रदूषण यानी दूषित वायु हमारे शरीर को सिर से पैरों तक हानि पहुंचती है। यह सिर्फ दिल व फेफड़ों की बीमारियां ही पैदा नहीं कर रहा बल्कि और भी बहुत सारी बीमारियों से हमे रोगी बना रहा है। एक नयी रिपोर्ट में प्रदूषण के परिणाम को लेकर आगाह किया गया है की प्रदूषण हमारी उम्र भी घटा रहा है। जी हां…वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक [air quality life index( AQLI)] की ताज़ा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है की वायु प्रदूषण के कारण सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली और कोलकाता के निवासियों की नौ साल तक की उम्र घट सकती है।

एमपी और महाराष्ट्र में गंगा के मैदानों से पहुंचा प्रदूषण..

एक्यूएलआई की मंगलवार को रिपोर्ट जारी हुई जिसके अनुसार, अगर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल वायु गुणवत्ता को WHO मानकों के मुताबिक़ स्वच्छ बनाने में सफल हो जाते हैं तो लोगो की औसत आयु 5.6 साल बढ़ जाएगी। यदि प्रदूषण स्तर ऐसे ही बढ़ता रहा तो उम्र इतनी ही कम हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं। यह देश दुनियां भर के पांच प्रदूषित देशों में शामिल हैं।

 

 

भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है, जहां 48 करोड़ से अधिक लोग या कहे की देश की लगभग 40% आबादी उत्तर में गंगा के मैदानी क्षेत्रों में रहती है, और यहां प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है, नियमित रूप से दुनिया में कहीं और पाए जाने वाले स्तर से अधिक है। रिपोर्ट की माने तो यह प्रदूषण अब गंगा के मैदानों से आगे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में फैल गया है। जिससे वहां औसतन एक व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा में 2.5 से 2.9 साल तक की अतिरिक्त गिरावट आ सकती है।

उत्तर भारत के निवासी जीवन के नौ साल खो देंगे अगर..

एक्यूएलआई के मुताबिक, प्रदूषण के अनुमानित प्रभावों की भयावहता पूरे उत्तर भारत में अधिक है। यह वह क्षेत्र है जहां वायु प्रदूषण का स्तर दुनिया में सबसे ज्यादा है। यदि 2019 का प्रदूषण स्तर बना रहता है तो उत्तर भारत के निवासी जीवन के नौ साल से अधिक खो देंगे। जिसमें दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरीय शहर शामिल हैं।

 

 

एक चिंताजनक संकेत यह है कि देश में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का भौगोलिक दायरा समय के साथ बढ़ा है। पिछले कुछ दशकों की तुलना में पार्टिकुलेट मैटर अब केवल गंगा के मैदानी इलाकों की समस्या नहीं है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में प्रदूषण काफी बढ़ गया है। उदाहरण के लिए, इन राज्यों में साल 2000 की शुरुआत की तुलना में प्रत्येक व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा में 2.5 से 2.9 वर्ष की अतिरिक्त गिरावट हुई है।

धूम्रपान से भी ज्यादा हानिकारक वायु प्रदूषण..

वहीं, फसल अवशेष जलाने, ईंट भट्ठों और अन्य औद्योगिक गतिविधियों ने भी इस क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाले सूक्ष्म कणों की वृद्धि में योगदान दिया है। ऐसे कणों से होने वाला प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए दुनिया का सबसे बड़ा खतरा है। रिपोर्ट के अनुसार, धूम्रपान जैसे अन्य स्वास्थ्य जोखिमों की तुलना में वायु प्रदूषण जीवन प्रत्याशा को सबसे अधिक 1.8 वर्ष कम करता है। गंदा, दूषित, असुरक्षित पानी और अस्वच्छता के कारण जीवन के 1.2 साल तक काम होते हैं वहीं शराब और नशीली दवाओं के सेवन से जीवन के लगभग एक वर्ष तक हानि होना निश्चित है। रिपोर्ट में इससे बचने का उपाय भी बताया गया है की वायु प्रदूषित देश अगर डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के मुताबिक प्रदूषण कम कर लेते हैं तो औसतन व्यक्ति 5.6 साल अधिक जीवित रहेगा।

 

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