रूस-यूक्रेन विवाद – अमेरिका समाधान चाहता है कि आग भड़काना?

मयंक सक्सेना मयंक सक्सेना
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रूस-यूक्रेन विवाद में जब पश्चिमी जगत युद्ध की कगार पर खड़ा दिख रहा था, तो यूरोप के तमाम देश कैसे भी फिलहाल इसे टालने की कोशिशों में लगे थे। फ्रांस समेत तमाम देश किसी तरह रूस को मनाने में लगे थे कि वह यूक्रेन मामले में समझदारी से काम ले। इसी बीच अचानक कुछ अमेरिकी मीडिया संस्थानों ने रविवार का दिन निकलते, ख़बरें प्रसारित-प्रकाशित कर दी कि रूस कुछ ही घंटों में यूक्रेन पर हमला बोल देगा। ये ख़बरें आग की तरह फैलीं और भारतीय मीडिया संस्थान भी बिना ख़बरों की जांच किए इनको फैलाने लगे। और अब ख़बर आई है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ यूक्रेन संकट पर समिट के लिए तैयार हो गए हैं।

FILE PHOTO: U.S. President Joe Biden and Russia’s President Vladimir Putin arrive for the U.S.-Russia summit at Villa La Grange in Geneva, Switzerland June 16, 2021. Saul Loeb/Pool via REUTERS/File Photo

इस समिट का प्रस्ताव फ़्रांस ने रखा था, लेकिन इस पर भी अमेरिका का रवैया दरअसल आग भड़काने वाला ही है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि ये समिट तभी संभव होगा, जब कि रूस यूक्रेन पर हमला नहीं करता है। दिलचस्प ये है कि अमेरिकी सरकार का दावा है कि उसकी ख़ुफ़िया सूचना कहती है कि रूस यूक्रेन पर हमले के लिए तैयार है और रूस इससे लगातार इनकार कर रहा है। ऐसे में क्या ये इस संकट को सुलझाने की जगह – और ज़्यादा उलझाने की कोशिश है?

अमेरिका ने रूस को चेतावनी दी है कि अगर हमला हुआ तो इसके गंभीर नतीजे होंगे। इस पूरे मामले में रूस का रवैया भी अड़ियल ही है लेकिन जब रूस आधिकारिक तौर पर ये कह रहा है कि वह यूक्रेन पर तुरंत कोई हमला नहीं करने जा रहा है, तो फिर इस तरह के बयान और ख़बरें जारी करने का अमेरिकी मक़सद आख़िर क्या हो सकता है? साथ ही रूस के रवैये पर भी सवाल हैं, लेकिन वो सवाल लगातार हो रहे हैं।

12 फरवरी, 2022 को यूक्रेनी नागरिकों की एक रैली

इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से वार्ता का प्रस्ताव फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच फ़ोन पर हुई लंबी बातचीत से निकला। बताया जा रहा है कि फ्रांस और रूस के राष्ट्रपतियों के बीच, दो बार में तीन घंटे तक वार्ता हुई।

मैक्रों ने इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से एक संक्षिप्त बातचीत की और वार्ता का प्रस्ताव आगे बढ़ाया। फ़्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि इस समिट की रूपरेखा,  गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रूसी विदेश मंत्री सेर्जेई लावरोफ़ के बीच बैठक में तय होगी। इसके बाद भी अमेरिका ने ये बयान दिया है कि ये बातचीत तभी होगी, जब रूस यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा। इस शिखर सम्मेलन में यूरोप में उपजे सुरक्षा संकट के लिए कूटनीतिक समाधान के प्रस्ताव सामने आने की उम्मीद है। लेकिन ये प्रस्ताव भी कुछ सवाल सामने छोड़ता है;

यूक्रेन सीमा पर रूसी फ़ौज का जमावड़ा
  1. यूरोप के संकट के राजनयिक समाधान के लिए यूरोप के तमाम देश आपस में मिलकर बातचीत कर सकते हैं। यूरोपीय यूनियन इसमें मध्यस्थ बन सकती है। इसमें आख़िर अमेरिकी दख़ल के मायने क्या हैं? 
  2. इस पूरे मामले में मध्यस्थ या शक्ति के तौर पर अमेरिकी सरकार सामने क्यों है? संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय यूनियन के अस्तित्व के क्या मायने रह जाते हैं अगर अमेरिका को ही सब तय करना है?
  3. क्या ये अमेरिका के कोविड संकट के बाद, डोनाल्ड ट्रंप के जाने के बाद – अपनी खोई हैसियत पाने और विस्तार की इच्छा का नया रास्ता है?
  4. क्या ये यूक्रेन और यूरेशिया के इलाकों के संसाधनों पर क़ब्ज़े को लेकर नए शीतयुद्ध की शुरुआत है?
  5. क्या कोरोना जैसे अभूतपूर्व संकट के बीच भी, दुनिया की महाशक्तियां इस लड़ाई में इंसानी जानों को दांव पर लगाने को तैयार है?